Asaduddin Owaisi On Muslim Intellectual: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने गुरुवार को दिल्ली की एक मस्जिद में ‘अखिल भारतीय इमाम संगठन’ के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी (Umer Ahmed Ilyasi) से मुलाकात की. इससे पहले उन्होंने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.


हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने कहा, ''हम पर शक क्यों किया जाता है? जो लोग मिलकर आए हैं, उनसे पूछिए कि क्या बात करके आए हैं. आरएसएस की विचारधारा पूरी दुनिया जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं. ये जो मुस्लिम समुदाय में कथित पढ़ा-लिखा तबका है, जो वो करेंगे वह सच है और हम जो अपनी लड़ाई राजनीतिक हक के लिए और मौलिक अधिकार के लिए लड़ते हैं तो हम बुरे हो जाते हैं.''


उन्होंने आगे कहा, ''ये जो तबका है कि जो खुद को ज्ञानी समझता है. उन्हें हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है. जमीन पर क्या हो रहा है, उन्हें मालूम नहीं है. आराम से जिंदगी गुजार रहे हैं और आप आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं. ये आपका लोकतांत्रिक अधिकार है...मैं सवाल नहीं उठा रहा लेकिन फिर आपका भी अधिकार नहीं है मुझसे सवाल करने का.'' 


एक घंटे चली बैठक
कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में बंद कमरे में एक घंटे से अधिक वक्त तक बैठक हुई. अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय यहीं स्थित है. भागवत के साथ संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, राम लाल और इंद्रेश कुमार थे. राम लाल पहले बीजेपी के संगठनात्मक सचिव थे जबकि कुमार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक हैं.


बैठक की जानकारियां साझा करते हुए अहमद इलियासी के भाई सुहैब इलियासी ने कहा, ‘‘यह काफी अच्छी बात है कि भागवत हमारे पिता की पुण्यतिथि पर हमारे निमंत्रण पर आए. इससे देश में अच्छा संदेश भी गया है.’’


किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
आरएसएस प्रमुख साम्प्रदायिक सौहार्द्र को मजबूत करने के लिए मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने हाल में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी और कारोबारी सईद शेरवानी से मुलाकात की थी.


इस मुलाकात में भागवत ने हिंदुओं के लिए ‘‘काफिर’’ शब्द के इस्तेमाल के मुद्दे को उठाया था और कहा था कि इससे अच्छा संदेश नहीं जाता है. वहीं, मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मुसलमानों को ‘‘जिहादी’’ तथा ‘‘पाकिस्तानी’’ बताए जाने पर आपत्ति जतायी थी.


आरएसएस ने क्या कहा?
मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भागवत को यह भी बताया था कि ‘काफिर’ शब्द के इस्तेमाल के पीछे मकसद कुछ और है लेकिन कुछ वर्गों में अब इसे ‘‘अपशब्द’’ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. आरएसएस प्रमुख ने बुद्धिजीवियों की चिंताओं को समझते हुए कहा कि ‘‘सभी हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है.’’


आरएसएस (RSS) के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘‘आरएसएस सरसंघचालक हर वर्ग के लोगों से मुलाकात करते हैं. यह निरंतर चल रही सामान्य ‘संवाद’ प्रक्रिया का हिस्सा है.’’


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