Arvind Kejriwal Arrested: दिल्ली शराब नीति के कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गुरुवार (21 मार्च) की रात को कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. अरविंद केजरीवाल पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिनकी बतौर सीएम गिरफ्तारी हुई है. आज शुक्रवार (22 मार्च) को ईडी उन्हें पीएमएलए कोर्ट में पेश करेगी.


बीती रात जब ईडी अरविंद केजरीवाल से पूछताछ कर रही थी, तभी आम आदमी पार्टी (आप) की लीगल टीम ने उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ ई-फाइलिंग के जरिए सुप्रीम का दरवाजा भी खटखटाया, जिस पर आज शुक्रवार को सुनवाई होनी है. उधर, आप ने कहा कि भले ही अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी हो गई हो लेकिन वह दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे. जरूरत पड़ी तो वो जेल से सरकार चलाएंगे.


कैसे अपने परिवार से मिल पाएंगे अरविंद केजरीवाल


ईडी रिमांड पर आने के बाद अरविंद केजरीवाल के परिजनों को अगर उनसे ईडी कस्टडी में मुलाकात करनी है तो केवल पीएमएलए कोर्ट की इजाजत से ही मिलने दिया जाएगा. ये एक कानूनी प्रक्रिया है. जैसा कि हाल में के. कविता को ईडी ने रिमांड पर लिया गया और कोर्ट की इजाजत से ही उनके परिवार के सदस्यों को ईडी ने मिलने दिया. ईडी कस्टडी में आरोपी के लिए परिवार के सदस्य खाने-पीने की कोई चीज लेकर नहीं आ सकते लेकिन अगर आरोपी का स्वास्थ्य खराब है या कोर्ट परमिशन देती है तब संभव है कि घर का खाने खाने इजाजत दे दी जाए.


जेल का मैनुअल क्या कहता है? 


अब सवाल ये है कि क्या केजरीवाल जेल से सरकार चला सकते हैं? इसे समझने के लिए जेल मैनुअल को समझना होगा. पहले समझना होगा कि कैसे जेल में कैदियों से मुलाकात होती है. जेल मैनुअल के मुताबिक, हफ्ते में दो बार कैदियों से मुलाकात संभव है. कैदी को 10 लोगों के नाम देने होते हैं, जिनसे वो मुलाकात करना चाहता है.


मुलाकात के लिए टेलीफोन के जरिए बुकिंग करनी होती है. टेलीफोन से मुलाकात के लिए टाइम और तारीख तय होती है. एक बार तीन मुलाकाती जेल में आकर मिल सकते हैं. मुलाकात के दौरान खिड़की की एक तरफ कैदी होता है तो दूसरी तरफ मुलाकात करने वाले लोग होते हैं. बीच में आयरन ग्रिल और जाली होती है. कैदियों से मुलाकात सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 तक हो सकती है. जेल सुपरिटेंडेंट मुलाकात का समय तय करता है.


क्या जेल से सरकार चला सकते हैं केजरीवाल?


जेल के सख्त नियम होते हैं, ऐसे में सवाल ये है कि क्या जेल से सरकार चल सकती है. इसे समझने के लिए जेल मैनुअल के कुछ और नियमों को जानते हैं. जेल में कैदी को कोई विशेषाधिकार नहीं होता और कोई मीटिंग नहीं हो सकती. जेल में सिर्फ लीगल असिस्टेंट के दस्तावेज साइन हो सकते हैं. वो भी कोर्ट की इजाजत से ही दस्तावेजों पर दस्तखत किए जा सकते हैं. जेल में रहते किसी फाइल पर साइन किया तो उसे अवैध माना जाता है.


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