यह तो हम सभी जानते हैं कि दिल्ली में मौजूद रायसीना हिल्स में राष्ट्रपति का निवास स्थान है. राष्ट्रपति के इस आधिकारिक आवास व कार्यालय को राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है. जो भी लोग दिल्ली आते हैं वह राष्ट्रपति भवन और रायसीना हिल्स देखने जरूर जाते हैं. यह पूरी इमारत अपनी बेशुमार खूबसूरती के लिए जानी जाती है. यह भवन सिर्फ इमारत नहीं है बल्कि हिंदुस्तान के गणतंत्र की गवाह है.


दिल्ली के दिल में स्थित है रायसीना की पहाड़ी


रायसीना की पहाड़ी दिल्ली के दिल में स्थित है. इसकी खासियत सिर्फ इतनी ही नहीं है कि यहां देश के राष्ट्रपति का निवास स्थान है. इस भवन और पहाड़ी के पीछे एक लंबा इतिहास है. इसे हिल्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह जमीन से 18 मीटर ऊपर पहाड़ी पर बसा हुआ है. इसके चारों और आपको हरियाली देखने को मिलेगी. इसके साथ ही यहां कई भव्य इमारतें जैसे संसद भवन, इंडिया गेट, विजय चौक और राजपथ भी देखने को मिलेंगे.


रायसीना नाम के पीछे है यह रोचक कारण


क्या आपने कभी सोचा है कि इस स्थान का नाम रायसीना क्यों पड़ा? इसके पीछे का कारण यह है कि साल 1912 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने रायसीना हिल्स पर 'वॉयसरॉय हाउस' बनाने का सोचा. इस स्थान पर 300 परिवार रहते थें जिन्हें रायसीना के नाम से जाना जाता था. सरकार ने इन रायसीना परिवारों के जमीन का अधिग्रहण कर लिया और इस स्थान का नाम रायसीना पड़ गया. इस पूरे स्थान में 4000 एकड़ जमीन पर राष्ट्रपति भवन बना हुआ है.


राष्ट्रपति भवन बनने में लगे थे 12 साल


साल 1911 में अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने का फैसला किया था. इसके बाद साल 1912 में रायसीना पर 'वॉयसरॉय हाउस' बनाने का फैसला किया गया. इसके लिए चार साल का समय तय किया गया. इसी बीच पहला विश्व युद्ध साल 1914 में शुरू हो गया. इस कारण वॉयसरॉय हाउस को बनने में चार साल के बजाय 19 साल का वक्त लग गया. आपको बता दें कि इस भवन के मुख्य शिल्पकार 'एडविन लैंडसीर लुटियंस' थे. 23 जनवरी 1931 में इसके बनकर तैयार होने के बाद 'वॉयसरॉय ऑफ इंडिया' लॉर्ड इरविन यहां रहने आए. साल 1950 तक इसे 'वॉयसरॉय हाउस' कहा जाता था और बाद में इस इलाके का नाम लुटियंस रख दिया गया.


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