नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में कवासी लकमा को मंत्री बनाया गया है. ये दो दशक से चुनाव जीत रहे हैं. जनता के प्यारे हैं. कांग्रेस ने उसी प्यार के भरोसे मंत्री की कुर्सी दे दी है. लेकिन इन्हें न तो ‘क’ पता है, न ‘ख’ पता है और न ‘ग’ पता है. अक्षर और शब्दों से इनको कोई भेंट नहीं है. यानी ये अनपढ़ हैं.
आज कवासी लकमा जब शपथ ले रहे थे तो वह पत्र देखकर पढ़ने के बजाए राज्यपाल आनंदी बेन जो बोल रही थीं, उसी को दोहरा रहे थे. कवासी लकमा बेबाकी से ये मानते हैं कि उन्होंने कोई पढ़ाई लिखाई नहीं की, लेकिन जनता का आशीर्वाद मिलता रहा है.
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कवासी के किस्से
- साल 2013 में जब नक्सली हमले में कांग्रेस के बड़े नेता मारे गये थे उस वक्त उस काफिले में शामिल कवासी लकमा जिंदा बचे थे. हमले के वक्त कवासी की किस्मत ने साथ दिया था लेकिन कवासी के जिंदा बचने को लेकर सवाल भी उठे और साजिश का शक भी जताया गया था.
- असल में कवासी लकमा नक्सली इलाके से चुनाव जीतते रहे हैं.
- कवाली बस्तर इलाके की कोंटा सीट से विधायक हैं.
- कवाली पर नक्सली कनेक्शन के आरोप इन पर लगते रहे हैं.
- कवासी के राजनीति में आने की कहानी भी नक्सल आंदोलन से जुड़ी हुई है.