Al-Qaeda In Assam: असम के विभिन्न जिलों में अल कायदा आतंकी संगठन के संचालित एक गहरे नेटवर्क का पता चला है. इसके बाद गृह मंत्रालय (MHA) ने अल कायदा के आतंकी मॉड्यूल का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को आदेश दिया है. एनआईए की एक एफआईआर में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अल कायदा का आतंकी मॉड्यूल कुछ महीने से असम के विभिन्न जिलों में सक्रिय था, जिसका संबंध बांग्लादेश स्थित आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) से था.
एनआईए के मुताबिक 2014 में स्थापित प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल कायदा की एक शाखा AQIS कथित तौर पर अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में सक्रिय है और यह समूह इस्लामिक राज्य स्थापित करने के लिए जिहाद छेड़ना चाहता है. बता दें कि असम में पिछले 8 महीने में चार बार आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है.
आतंकियों के खतरनाक मंसूबे का हुआ खुलासा
एनआईए की प्राथमिकी में कहा गया है कि इस आतंकी मॉड्यूल का उद्देश्य खिलाफत के शासन की स्थापना करके लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से भारतीय क्षेत्र में आतंक का प्रचार करना, समान विचारधारा वाले युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए युवाओं की भर्ती करना है.
इसके साथ ही शरीया कानून की आड़ लेकर ये आतंकी संगठन भारत के साथ-साथ बांग्लादेश के खिलाफ भी युद्ध छेड़ने के लिए भी साजिश रच रहा है. बांग्लादेश में 'गजवा-ए-हिंद' के तहत ये आतंकी संगठन भारत के खिलाफ आतंकी हमलों को सही ठहराने के लिए करते हैं.
जिहादी गतिविधियों को देने वाले थे अंजाम
एनआई की ये सूचना अधिकारियों के असम में कथित रूप से जिहादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए दो मदरसों को नष्ट करने के कुछ दिनों बाद आया है. 29 अगस्त को बारपेटा जिले में एक मदरसे को नष्ट कर दिया गया था, क्योंकि इसे एक्यूआईएस द्वारा प्रशिक्षण केंद्र के रूप में इस्तेमाल करने का दावा किया गया था. बोंगाईगांव जिले में फिर 31 अगस्त को भी एक ऐसी ही घटना को अंजाम दिया गया था. इसके बाद मदरसे के एक शिक्षक को एक्यूआईएस के साथ संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किया गया था.
सूचना प्राप्त हुई थी कि असम के विभिन्न जिलों के साथ-साथ गोलपाड़ा में एक्यूआईएस का एक मॉड्यूल सक्रिय था. एनआईए की जांच मूल रूप से 20 अगस्त को असम के गोलपाड़ा जिले के मटिया पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले पर आधारित है.
एनआई ने आतंकियों के खिलाफ दर्ज किए कई मामले
एनआईए ने इस साल 26 सितंबर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के 120बी, 121 और 121 ए के आरोपों के तहत मामला फिर से दर्ज किया और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 18, 18बी, 19 और 20। गृह मंत्रालय (एमएचए) में काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन (सीटीसीआर) यूनिट से प्राप्त 23 सितंबर के एक आदेश के बाद, आतंकवाद विरोधी एजेंसी ने भी मामला दर्ज किया और जांच शुरू की.
पकड़े गए आतंकियों ने किया खुलासा
पता चला कि गोपालपुर तिलपारा गांव निवासी 49 वर्षीय जलालुद्दीन शेख; गोलपारा जिले के राख्यासिनी गांव के रहने वाले 43 वर्षीय अब्दुस सुभान और अन्य विभिन्न लोगों को प्रेरित कर भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की प्रतिबंधित गतिविधियों में शामिल थे. पूछताछ पर, दोनों ने कहा कि संगठन का उद्देश्य भारतीय क्षेत्र में आतंक का प्रचार करना, युवाओं को कट्टरपंथी बनाना और "खिलाफत का शासन" (शरिया कानून) स्थापित करना था.
भारत-बांग्लादेश में देने वाले थे खतरनाक घटनाओं को अंजाम
उन्होंने बताया कि भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए एक नियमित भर्ती प्रक्रिया को अंजाम देना था और फिर उसके बाद भारत में और साथ ही बांग्लादेश के खिलाफ युद्ध छेड़ना और प्रशिक्षित किए गए युवाओं की मदद से 'गज़वा-ए-हिंद' लागू करना इस संगठन का मुख्य उद्देश्य है. केंद्र सरकार ने एनआईए को अपराध की गंभीरता और इसके अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभावों को देखते हुए मामले की जांच करने का निर्देश दिया है.