समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा नेता आजम खान ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. दोनों ने इस बार यूपी विधानसभा के चुनाव में विधायक चुने जाने के बाद लोकसभा से इस्तीफा दिया. अखिलेश और आजम खान ने आजमगढ़ और रामपुर की अपनी संसदीय सीटों से इस्तीफा दे दिया है. हाल ही में संपन्न राज्य विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव ने 1,48,196 वोट हासिल करके करहल सीट से जीत हासिल की थी. जबकि बीजेपी के एसपी सिंह बघेल 80,692 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. 2012 में मुख्यमंत्री बनने के लिए एमएलसी का रास्ता अपनाने के बाद अखिलेश का यह पहला राज्य चुनाव था. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और जेल में बंद सपा नेता आजम खान ने आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
अखिलेश यादव की सांसद पद से इस्तीफे की वजह!
यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा जिसके बाद सियासी गलियारों में ये कयास लगाए जा रहे थे कि वो लोकसभा का सदस्य बने रहेंगे और मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट को छोड़ देंगे. समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को लेकर भी ठीक इसी तरह के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन अखिलेश यादव और आजम खान ने बड़ा फैसला लेते हुए सियासी दिग्गजों को चौंका दिया. आइए समझते हैं कि आखिर अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से क्यों इस्तीफा दिया?
1. अखिलेश यादव जब लोकसभा से सांसद थे तो उनका ज्यादातर वक्त दिल्ली में गुजर रहा था. कई बार लोगों ने उत्तर प्रदेश से दूरी बनाने के भी आरोप लगाए. ऐसे वो इस बार विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद यूपी की सियासत पर ध्यान देना चाहते हैं.
2. अखिलेश ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है. विधानसभा चुनाव में इस बार समाजवादी पार्टी का आजमगढ़ की विधानसभा सीटों पर अच्छा प्रदर्शन रहा है. ऐसे में अखिलेश यादव को भरोसा है कि अगर आजमगढ़ लोकसभा की सीट पर उप चुनाव हुए तो ये सीट फिर से समाजवादी पार्टी के खाते में ही जाएगी.
3. यूपी में इस बार अखिलेश यादव विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी निभा सकते हैं ताकि बीजेपी सरकार को कई मुद्दों पर घेरकर पार्टी को बढ़त मिल सके.
4. 2017 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद अखिलेश यादव केंद्र की राजनीति में कूद पड़े थे. जिसके बाद ऐसा माना गया कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष कमजोर पड़ गया था. अखिलेश यादव फिर से वही गलती नहीं दोहराना चाहते हैं. आजम खान के विधानसभा सदस्य बने रहने से भी पार्टी को उनके अनुभव का फायदा पहुंचेगा.
5. उत्तर प्रदेश में देशभर में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. 2024 आम चुनाव को लेकर अखिलेश यादव यूपी में सियासी जमीन को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं.