अखिल भारतीय यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था. 6 महीने से अधिक समय बाद हिरासत में रहने के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट ने उनके हिरासत आदेश को रद्द कर दिया है और निर्देश दिया है कि अगर वो किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें रिहा कर दिया जाए.
असम के धींग निर्वाचन क्षेत्र से विधायक इस्लाम को 24 अप्रैल को एक रैली में दिए गए बयान के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला केंद्र की भाजपा सरकार की साज़िश थी. 14 मई को उन्हें इस मामले में ज़मानत मिल गई, लेकिन उसी दिन उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में ले लिया गया.
गुवाहाटी हाई कोर्ट के जस्टिस ने क्या कहागुवाहाटी हाई कोर्ट के जस्टिस कल्याण राय सुराना और राजेश मजूमदार की पीठ ने शुक्रवार (28 नवंबर) को कहा कि इस्लाम को एनएसए के तहत हिरासत में लेने का आदेश अवैध है, क्योंकि अधिकारियों ने उनकी नज़रबंदी के खिलाफ आवेदन पर कार्रवाई में अस्पष्ट देरी की साथ ही केंद्र के समक्ष अपना पक्ष रखने के उनके अधिकार के बारे में तब तक सूचित नहीं किया गया, जब तक कि केंद्र ने राज्य को इसकी याद नहीं दिलाई.
इस्लाम के वकील ने क्या दलील दीइस्लाम के वकील शांतनु बोरठाकुर की टीम के एक वकील ने कहा कि विधायक को शुक्रवार के बाद में रिहा किए जाने की उम्मीद है. इस्लाम को 24 अप्रैल को बीएनएस धारा 152 सहित अन्य आरोपों में गिरफ्तार किया गया था, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है और आईपीसी के तहत देशद्रोह जैसा ही एक आरोप है.
14 मई को जमानत दिए जाने के बाद एनएसए के तहत उनकी हिरासत नागांव डीसी के एक आदेश पर आधारित थी, जिसमें पुलिस अधीक्षक की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया था कि इस्लाम सार्वजनिक व्यवस्था और राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त रहा है और उसके भाषण पर रिपोर्ट में कहा गया था कि वह इस बात से संतुष्ट है कि इस्लाम राज्य की सुरक्षा के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त रहना जारी रख सकते हैं.
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