नई दिल्ली: सेना प्रमुख बिपिन रावत के एक बयान ने सियासत में उबाल ला दिया है. आर्मी चीफ ने बीजेपी की तुलना असम की पार्टी एआईयूडीएफ से कर दी जिस पर विवाद खड़ा हो गया है. एआईयूडीएफ के प्रमुख बदरूद्दीन अजमल ने कहा है कि सेना प्रमुख बीजेपी की भाषा न बोलें. वहीं एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल न देने को कहा है.
बदरूद्दीन अजमल ने कहा, "अगर सेना प्रमुख कह रहे हैं कि असम में भौगोलिक परिवर्तन हो रहा है तो इसे जांचना सरकार का काम है. हम अकेली पार्टी हैं जो कहते हैं कि सीमा में घुसपैठ करने वालों को गोली मार देनी चाहिए.''
उन्होंने कहा कि हमने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मिलने का वक्त मांगा है. हमारे विधायकों का प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलकर अपनी बात स्पष्ट करेगा. गृहमंत्री हमेशा मुझसे गर्मजोशी से मिलते हैं और बदरुद्दीन भाई कहकर बुलाते हैं. अगर हम देशद्रोही होते तो वो मेरा ऐसे स्वागत करते''
राजनीति में दखल ना दें सेना प्रमुख: ओवैसी सेना प्रमुख के बयान पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी की प्रतिक्रया आई है. ओवैसी ने कहा है कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए. असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीटर पर लिखा, ‘’ सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है. सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है.’’
क्या कहा है बिपिन रावत ने? असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि की खबरों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ की चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘’एआईयूडीएफ नामक एक पार्टी है. उस पर नजर डालें तो पता चलता है कि बीजेपी को उभरने में सालों लग गए, जबकि वह बिल्कुल कम समय में उभरी. एआईयूडीएफ असम में तेजी से बढ़ रही है.’’ जिस कार्यक्रम में सेना अध्यक्ष ने ये बयान दिया उसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे.