West Bengal Elections: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. असदुद्दीन ओवैसी की यह पार्टी 294 विधानसभा सीटों में से कई सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने की तैयारी में है. फिलहाल, बंगाल में अपना आधार बढ़ाने के लिए पार्टी का सदस्यता अभियान दमखम के साथ चल रहा है.
AIMIM ने पिछले विधानसभा चुनाव (2021) में भी उम्मीदरवार उतारे थे लेकिन पार्टी किसी तरह का प्रभाव छोड़ने में कामयाब नहीं हो पाई थी. तब AIMIM ने 7 उम्मीदवार उतारे थे. मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों की मुस्लिम बहुल सीटों से प्रत्याशी खड़े किए गए थे. हालांकि सभी को हार का सामना करना पड़ा था.
ब्लॉक स्तर पर तैयारियां शुरूएनडीटीवी से बातचीत करते हुए AIMIM नेता मोहम्मद इमरान सोलंकी ने बताया कि साल 2023 में हुए पंचायत चुनावों में AIMIM को महज मालदा और मुर्शिदाबाद से ही लगभग डेढ़ लाख वोट मिले थे. अब यही से अभियान आगे बढ़ाने की तैयारी है. उन्होंने कहा, 'हम पिछले चार सालों से बेहद खामोशी के साथ जमीन पर काम कर रहे हैं. हम अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर प्रत्याशी खड़े करना चाहते हैं. इसके लिए ब्लॉक स्तर पर तैयारियां काफी पहले से शुरू हो चुकी है.'
बंगाल में 27 फीसदी मुस्लिमAIMIM बंगाल में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए घर-घर पहुंच रही हैं. फोन नंबर के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को AIMIM का सदस्य बनाया जा रहा है. रमजान के महीने में रोज इफ्तार पार्टियों को भी आयोजित किया जा रहा है. ईद के बाद असदुद्धीन ओवैसी भी बंगाल में रैली करने वाले हैं. बता दें कि 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में 27 फीसदी मुस्लिम हैं.
ममता बनर्जी की बढ़ेगी टेंशन!पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ दशकों से मुस्लिम वोटर्स का एक बड़ा तबगा ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (TMC) के साथ खड़े नजर आया है. ऐसे में अगर AIMIM बंगाल चुनाव में बड़े पैमाने पर अपने उम्मीदवार उतारती है तो निश्चित तौर पर इसका सीधा-सीधा नुकसान तृणमूल कांग्रेस को और फायदा बीजेपी को होगा. हाल ही में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी इसी तरह कुछ देखने को मिला था. दिल्ली में AIMIM ने जिन सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे, वहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था और बीजेपी को जीत मिली थी.
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