Asaduddin Owaisi On Gyanvapi Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद मामले को वाराणसी जिला कोर्ट को भेज दिया है. अब मुकदमे से जुड़े सभी मामले जिला जज ही देखेंगे. आठ हफ्ते तक सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश लागू रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को 8 हफ्ते का अंतरिम आदेश जारी किया था. वहीं ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर पूरे देश में बहस तेज होती जा रही है. सियासी प्रतिक्रियाएं भी लगातार सामने आ रही हैं.


अब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने इस पूरे मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मदद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात से बाबरी दोहराने की आशंका है. उन्होंने कहा कि हमारा संविधान पर विश्वास है. सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत को केस वापस भेजा है. हमें उम्मीद है कि वे ध्यान से सुनेंगे, और जिला अदालत से न्याय मिलेगा. 


ओवैसी बोले- 1991 एक्ट को लागू किया जाना चाहिए 
असदुद्दीन ओवैसी ने आगे कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय डीएम याचिकाकर्ताओं के साथ सहयोग कर रहे हैं. अगर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक अनुष्ठान की अनुमति दें, तो इसमें तालाब से वजू शामिल है. जब तक वजू न करे तब तक नमाज नहीं पढ़ी जा सकती. फव्वारा संरक्षित किया जा सकता है. लेकिन तालाब खुला होना चाहिए. ओवैसी ने आगे कहा कि भविष्य के विवादों को रोकने के लिए पूजा स्थल अधिनियम 1991 बनाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर सुनवाई के दौरान कहा कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है. कोर्ट को बात करनी चाहिए. 1991 एक्ट को लागू किया जाना चाहिए. 


मुस्लिम पक्ष की ओर से डाली गई याचिका
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में याचिका मुस्लिम पक्ष की ओर से डाली गई है. उनका कहना है कि मस्जिद में सर्वे कराने का कोई औचित्य नहीं है. वहीं हिंदू पक्ष ने भी इसपर आज अपना जवाब दाखिल कर दिया है. हिंदू पक्ष की ओर से वकील विष्णु जैन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद एक मस्जिद नहीं है, क्योंकि औरंगजेब ने इस भूमि पर किसी मुस्लिम या मुसलमानों के निकाय को जमीन सौंपने के लिए वक्फ बनाने का कोई आदेश पारित नहीं किया था. गौरतलब है कि पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां ‘शिवलिंग’ मिलने की बात कही गई है, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें. साथ ही मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी.  


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