AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने देश में एक साथ चुनाव (वन नेशन वन इलेक्शन) कराने की सिफारिश पर सवाल उठाए हैं.  ओवैसी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन भारतीय संघवाद के ताबूत में आखिरी कील साबित होगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इससे भारत वन पार्टी स्टेट में बदल जाएगा. 


पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बनी कमेटी ने गुरुवार को अपनी सिफारिश राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में एक साथ चुनाव कराने पर 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल को सौंपी हैं. 32 पार्टियों ने देश में एक साथ चुनाव कराए जाने का समर्थन किया है, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया है. हालांकि, इस नीति का समर्थन करने वाले दलों में सिर्फ दो राष्ट्रीय पार्टियां बीजेपी और एनपीपी हैं. एनपीपी भी NDA का हिस्सा है. 


अब ओवैसी ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ''बार-बार चुनाव होने से सरकारें तनाव में रहती हैं. वन नेशन वन इलेक्शन के साथ कई संवैधानिक मुद्दे हैं, लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि सरकारों को अब पांच साल तक लोगों के गुस्से की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. यह भारतीय संघवाद के ताबूत में आखिरी कील होगी. यह भारत को वन पार्टी स्टेट में बदल देगा.''


कमेटी ने क्या सिफारिश की?


पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वन नेशन वन इलेक्शन पर सौंपी रिपोर्ट में टू स्टेप प्रोसेस की सिफारिश की है. यानी पहले स्टेप में लोकसभा चुनाव के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएं. इसके 100 दिन के भीतर सभी निकाय चुनाव कराए जाएं.कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जाने की सिफारिश की है. हालांकि, लोकसभा के लिए कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही हो.