अल महद-अल-आली द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विकास में मुसलमानों के योगदान पर बोलते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मुसलमान भारत से प्यार करते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे अपने धर्म से दूर हो जाएं. उन्होंने कहा कि मुसलमानों ने हमेशा देश के विकास में योगदान दिया है और भविष्य में भी देना जारी रखेंगे.

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ओवैसी ने कहा, "एक इंसान अपने पूर्वजों की भूमि के प्रति वफादार रहता है. हम भारत के प्रति वफादार हैं. पैगंबर मुहम्मद ने कहा था कि देश के प्रति वफादारी इस्लाम की प्रकृति है. हमें अपने देश से प्यार है और हमारा संविधान हमें अपना धर्म मानने की स्वतंत्रता देता है."

ओवैसी ने मुसलमानों के योगदान को गिनायादेश के विकास में मुसलमानों के योगदान को याद करते हुए कई नाम गिनाए. ब्रिगेडियर उस्मान, अब्दुल हमीद, एपीजे अब्दुल कलाम, सलीम अली, सैयद ज़ाहिर क़ासिम, इब्राहिम अली, अनवर बक्श सिद्दीकी, वकील हसन मन्ना कुरैशी, सामी सऊद, इहतेशाम हुसैन, उबैद सिद्दीकी, अज़ीम प्रेमजी, यूसुफ अली, फातिमा शेख, रबिया शहनवाज़ शेख और कोविड के दौरान वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान करने वाले ताजम्मुल और मुज़म्मिल तौफीक़ और हुसैन पठान.

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'हमने जूता नहीं फेंका'ओवैसी ने कहा, "हमारी मस्जिद को शहीद कर दिया गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट कहता है कि किसी ने शहीद नहीं किया. अगर मुसलमानों को दबाओगे तो भारत को आगे कैसे बढ़ाओगे. हम वतन से मोहब्बत करते हैं इसीलिए कोर्ट के फैसले के बाद हमने जूता नहीं फेंका." उन्होंने ऐतिहासिक अन्यायों का उल्लेख करते हुए कहा, "1962 में 8 लाख मुसलमानों को बांग्लादेश भेजा गया. असम में 1969 के दंगे 2002 से भी बदतर थे. हम कई अन्याय और दंगों के साक्षी रहे हैं. बाबरी वर्डिक्ट के बाद किसी ने जज पर जूता नहीं फेंका."

'जो मदरसे का एक कमरा नहीं बना सके'ओवैसी ने कहा कि मुसलमानों को दूसरे दर्जे के नागरिक बनाने की कोशिशें कभी सफल नहीं होंगी. उन्होंने आगे कहा कि जो मदरसे का एक कमरा नहीं बना सके वो अमोनियम नाइट्रेट बना रहे हैं. हमें ऐसे लोगों के खिलाफ भी खड़ा होना पड़ेगा. उन्होंने सभी नागरिकों से एकजुट होने की अपील की और कहा कि देश के विकास के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा.

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