नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोरोना वायरस के फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों में लगातार कमियां गिना रहे हैं. पिछले दिनों राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे कि केंद्र सरकार खराब क्वालिटी के वेंटिलेटर खरीद रही है. इन आरोपों पर वेंटिलेटर बनाने वाली कंपनी एजीवीए (AgVa) के मालिक प्रोफेसर दिवाकर वैश ने जवाब दिया है.


उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी कोई डॉक्टर नहीं हैं, उन्हें तकनीक की जानकारी नहीं है. वैश ने वेंटिलेटर में तकनीकी खामियों के दावों को भी खारिज किया. वैश ने कहा, ''हमारे वेंटिलटर करीब 5 से दस गुना तक सस्ते हैं, एक वेंटिलेटर की कीमत 10-15 लाख तक होती है. हमारे वेंटिलेटर की कीमत डेढ़ लाख रुपये तक है. इन प्रोडक्ट्स में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का जाल काम करता है, स्वदेशी को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं.''


उन्होंने कहा, ''दिल्ली में LNJP अस्पताल ने हमारा वेंटिलेटर रिजेक्ट नहीं किया था, बल्कि उन्होंने किसी चीज की कमी बताई थी. उसे सुधार दिया गया. मुंबई में जेजे अस्पताल ने एक थर्ड पार्टी के जरिए इसे इन्स्टॉल करवाया है. इसी वजह से वहां पर दिक्कतें आ रही थीं.''





दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों केंद्र सरकार पर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दोयम दर्जे के वेंटिलेटर्स खरीद कर लोगों की जिंदगी को खतरे में डालने का आरोप लगाया.


राहुल ने एक खबर के साथ ट्वीट कर कहा, "पीएम केयर्स की अपारदर्शिता : 1. भारतीय जीवन को खतरे में डालना. 2. लोगों के पैसे का इस्तेमाल दोयम दर्जे के उत्पाद खरीदने में करना."


खबर में यह कहा गया है कि पीएम केयर्स के वेंटिलेटर मेकर एजीवीए ने 'खराब परफॉर्मेस' को छुपाने के लिए सॉफ्टवेयर में हेराफेरी की है.


इससे पहले कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पूछा था, "कई सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के विशेषज्ञ पैनल ने बताया कि एजीवीए हेल्थ केयर द्वारा आपूर्ति किए गए वेंटिलेटर्स दोयम दर्जे के हैं. सरकार क्यों संकट की इस घड़ी में दोयम दर्जे के उपकरण के साथ लाखों रोगियों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है."


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