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Agnipath Scheme: ‘अग्निवीरों’ के भविष्य को लेकर सवाल कायम, रिटायरमेंट के बाद नौकरी को लेकर राज्यों में असमंजस

Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून को की गई थी. उसके बाद, कम से कम 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस स्कीम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें से कुछ हिंसक थे.

नई दिल्ली: अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले सैनिकों के भविष्य को लेकर अभी भी आशंका बनी हुई है क्योंकि केंद्र और कई राज्य सरकारों ने सशस्त्र बलों में सेवा के चार साल बाद सेवानिवृत्त होने पर उनके पुनर्वास के लिए एक व्यापक योजना तैयार नहीं की है. युवाओं की चिंता को और बढ़ाते हुए विपक्षी दलों द्वारा शासित किसी भी राज्य ने इस योजना के तहत अग्निवीर को काम पर रखने के लिए किसी भी अनुकूल भर्ती योजना की घोषणा नहीं की, जबकि कुछ ने इसे पूरी तरह से वापस लेने की मांग की है.

अग्निपथ योजना की घोषणा 14 जून को की गई थी. उसके बाद, कम से कम 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों-बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और दिल्ली में विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें से कुछ हिंसक थे.

यहां मिलेगी अग्निवीरों को वरियता
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और असम ने घोषणा की कि वे पुलिस की भर्ती में अग्निवीर को वरीयता देंगे, वहीं गृह मंत्रालय ने कहा कि उसने अग्निवीर के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) और असम राइफल्स में 10 प्रतिशत रिक्तियों को आरक्षित करने का फैसला किया है.

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रक्रिया इतनी आसान नहीं होगी. राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड के प्रमुख ने कहा कि रोजगार में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है और अधिकतर अग्निवीर अनारक्षित श्रेणी में होंगे क्योंकि सेना में कोई आरक्षण प्रणाली नहीं है.

विशेषज्ञों ने कहा, ‘‘इसलिए, यह विचार कि उन्हें सीएपीएफ और राज्य पुलिस में समाहित किया जा सकता है, काम नहीं कर सकता है. उन पर केवल 50 प्रतिशत अनारक्षित रिक्तियों के खिलाफ विचार किया जाना है. इसका मतलब यह भी होगा कि मेधावी और बेहतर पढ़े-लिखे गैर-अग्निवीर को पुलिस में शामिल होने में मुश्किल होगी. इससे पुलिस की कार्यकुशलता प्रभावित होगी.’’

राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड के प्रमुख ने पूछा, ‘‘तब सेना भर्ती की नीति सरकार के असैन्य क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था के साथ कैसे मेल खा सकती है.’’

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि पूरी प्रक्रिया कानूनी जांच के दायरे में आ सकती है क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि सशस्त्र बलों में चार साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त अग्निवीर के वेतन की रक्षा की जाएगी और वरिष्ठता को बनाए रखा जाएगा.

एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘‘सरकार के लिए यह एक कड़ा कदम होगा क्योंकि इसे मंजूरी देते समय राज्य पुलिस द्वारा सीधे भर्ती किए गए कांस्टेबल के बीच किसी भी तरह के असंतोष से बचने पर भी विचार करना होगा..’’

भाजपा शासित राज्यों की स्थिति
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि अग्निपथ योजना के तहत देश की सेवा करने वाले युवाओं को ‘ग्रुप सी’ (अराजपत्रित पद) या हरियाणा पुलिस की नौकरी की गारंटी दी जाएगी. हालांकि, राज्य सरकार को अभी यह बताना बाकी है कि सरकारी नौकरियों का कितना प्रतिशत अग्निवीर के लिए आरक्षित किया जाएगा.

इसी तरह, उत्तराखंड सरकार पुलिस, आपदा और चार धाम प्रबंधन विभागों में अग्निवीर को समायोजित करने की योजना बना रही है. हालांकि, उत्तराखंड सरकार की नौकरियों में अग्निवीर के लिए किसी विशेष कोटा की घोषणा नहीं की गई है.

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और असम की सरकारों ने घोषणा की है कि वे पुलिस भर्ती में अग्निवीर के लिए नौकरियां आरक्षित करेंगे लेकिन अभी तक प्रतिशत या कैसे इस प्रक्रिया को अंजाम देंगे इस बारे में नहीं बताया है. संपर्क करने पर, उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘राज्य सरकार मुख्यमंत्री द्वारा घोषित यूपी पुलिस की भर्ती में अग्निवीर को प्राथमिकता देगी.’’

पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर यूपी पुलिस मुख्यालय में तैनात एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘पुलिस भर्ती में अग्निवीर को प्राथमिकता देने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए हमें सरकार से कोई निर्देश नहीं मिला है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अग्निवीर' को प्राथमिकता देने की मुख्यमंत्री की घोषणा का पालन किया जाएगा. हमारे पास अभी भी योजना बनाने के लिए पर्याप्त समय है क्योंकि सेवानिवृत्त जवानों का पहला बैच कम से कम केवल चार साल बाद यूपी पुलिस में शामिल हो सकता है.’’

मध्य प्रदेश सरकार के गृह विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य पुलिस बल में अग्निवीर की भर्ती के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है और आने वाले दिनों में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा.

गैर भाजपा शासित राज्यों की स्कीम को वापस लेने की मांग
दूसरी ओर, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों ने इस योजना को वापस लेने की मांग की है. इन राज्यों ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि उनके पास अग्निवीर के लिए सरकारी नौकरियों को आरक्षित करने की कोई योजना नहीं है. इन राज्यों से बड़ी संख्या में युवा सशस्त्र बलों में जाते हैं.

योजना को लेकर सबसे ज्यादा प्रदर्शन बिहार में हुआ और कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने रेलवे और अन्य सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया. दिलचस्प बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अग्निपथ योजना पर कुछ नहीं कहा है. हालांकि कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा है कि केंद्र को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

क्या कहा छत्तीसगढ़ ने?
कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के राज्य के जनसंपर्क विभाग के आयुक्त दीपांशु काबरा ने कहा कि अग्निवीर को अतिरिक्त कोटा स्थानीय युवाओं में असंतोष पैदा करेगा, जो पुलिस बल में भर्ती होने के इच्छुक हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ पुलिस कांस्टेबल भर्ती में पूर्व सैनिकों के लिए पहले से ही 10 प्रतिशत कोटा है.

महाराष्ट्र की स्थिति
महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण और विशेष बल) संजय कुमार ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘यह एक नीतिगत निर्णय है. हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते कि महाराष्ट्र पुलिस अग्निवीर को सेवा में शामिल करेगी या नहीं. राज्य सरकार इस बारे में फैसला करेगी. अगर सरकार हमसे पूछे, तो हम इस पर अपनी राय देंगे, लेकिन नौकरशाह के तौर पर हम बोल नहीं सकते क्योंकि यह एक नीतिगत निर्णय है.’’

गुजरात और गोवा की स्थिति
भाजपा शासित गुजरात ने राज्य पुलिस भर्ती में पूर्व अग्निवीर को आरक्षण देने पर अभी कोई घोषणा नहीं की है. गुजरात सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार ने विचार-विमर्श शुरू कर दिया है और जल्द ही एक आधिकारिक घोषणा हो सकती है.

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत सरकारी नौकरियों में अग्निवीर के लिए आरक्षण की पहले ही घोषणा कर चुके हैं. उन्होंने कहा है कि पुलिस, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं, वन विभाग और जेल विभाग जैसी सेवाओं में अग्निवीर के लिए आरक्षण का प्रतिशत राज्य मंत्रिमंडल द्वारा तय किया जाएगा.

पूर्वी राज्यों की स्थिति
बिहार, असम और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों के पुलिस अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अग्निवीर की भर्ती के बारे में चुप्पी साधे हुए हैं, उनका कहना है कि यह एक नीतिगत निर्णय है जिसे संबंधित सरकार को करना होता है.

असम के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि सरकार कोई नीतिगत निर्णय लेती है तो आरक्षण (अग्निवीर के लिए) संभव है. हमारे पास पहले से ही पूर्व सैनिकों के लिए अवसर है. इसलिए, यदि सरकार कोई आदेश जारी करती है, तो यह किया जा सकता है.’’

पश्चिम बंगाल के एक शीर्ष नौकरशाह ने बताया कि प्रशासन ने पुलिस बल में अग्निवीर की भर्ती के बारे में नहीं सोचा है. उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार घोषणा करेगी और हमें पत्र लिखेगी , उसके बाद हम विचार करेंगे.’’

कर्नाटक के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि राज्य में भाजपा नीत सरकार ने अभी तक पुलिस विभाग में अग्निवीर की भर्ती पर कोई चर्चा करने का फैसला नहीं किया है.

आंध्र प्रदेश में भी यही स्थिति है, जहां वाईएसआर कांग्रेस पार्टी सत्ता में है. यह स्पष्ट नहीं है कि केंद्र ने आंध्र प्रदेश सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है या नहीं. केरल सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के नीतिगत फैसलों के आधार पर सब कुछ तय किया जाएगा.

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