शिरोमणि अकाली दल ने आगामी पंजाब विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मायावती की नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के साथ सियासी मैदान में उतरने का फैसला किया है. अकाली दल और बीएपी के इस गठबंधन का शनिवार को चंडीगढ़ में एलान किया जाएगा.

इससे पहले, साल 1996 के लोकसभा चुनाव में भी दोनों दल साथ मिलकर लड़े थे. बीएसपी सुप्रीमो कांशीराम पंजाब से चुनाव जीते थे.

गौरतलब है कि पंजाब के 30 फीसदी दलित वोट बैंक के लिए सुखबीर बाद का यह एक बड़ा सियासी दांव है. इससे पहले 2020 के सितंबर महीने में संसद से पास तीन नए कृषि कानूनों को विरोध में एनडीए के घटक अकाली दल ने मोदी सरकार से बाहर होने का फैसला किया था. 

इस फैसले के बाद केन्द्र में मंत्री रहीं हरसिमरत कौर बादल ने एनडीए सरकार ने अपने इस्तीफे का ऐलान किया था. पंजाब में कृषि सुधार संबंधी नए कानून के वजह से भारी विरोध हो रहा है. दिल्ली और इससे लगते आसपास की सीमाओं पर पिछले छह महीने से भी ज्यादा वक्त से प्रदर्शन कर रहे किसानों में अधिकतर हरियाणा और पंजाब से ही है.

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