Aditya L1 Mission: आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट ने लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर अपने 6 मीटर लंबे मैग्नेटोमीटर बूम को सफलतापूर्वक तैनात कर लिया है. इसके साथ ही इसरो को बड़ी कामयाबी मिली है. इस बूम को 132 दिनों के बाद हेलो कक्षा में तैनात किया गया है. बूम में दो फ्लक्सगेट मैग्नेटोमीटर लगे हैं जो अंतरिक्ष में अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापेंगे. 


मैग्नेटोमीटर बूम आदित्य-एल1 मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका उद्देश्य सूरज के क्रोमोस्फीयर और कोरोना के साथ-साथ अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करना है. 
 
इसरो के मुताबिक, बूम में दो एडवांस फ्लक्सगेट मैग्नेटोमीटर सेंसर लगे हैं, जो अंतरिक्ष में कम तीव्रता वाले चुंबकीय क्षेत्रों को मापने के लिए जरूरी हैं. इन सेंसर को अंतरिक्ष यान से 3 और 6 मीटर की दूरी पर तैनात किया गया है. सेंसर को दूरियों पर इसलिए स्थापित किया गया है ताकि माप पर स्पेसक्राफ्ट से बनने वाले चुंबकीय क्षेत्र का असर कम हो जाए.


चुंबकीय प्रभाव को रद्द करने में मिलेगी मदद
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, डुअल सेंसर के इस्तेमाल से इसके प्रभाव का अधिक सटीक अनुमान लगाने में मदद मिलती है और यह अंतरिक्ष यान से उत्पन्न होने वाले किसी भी चुंबकीय प्रभाव को रद्द करने में मदद करता है. कार्बन फाइबर पॉलिमर से बने बूम सेंसर माउंटिंग के लिए इंटरफेस के रूप में कार्य करते हैं.


स्प्रिंग-संचालित हिंज का मैकेनिज्म
बूम के डिजाइन में स्प्रिंग-संचालित हिंज से जुड़े पांच सेगमेंट का एक मैकेनिज्म शामिल है. यह बूम को एक अकॉर्डियन-जैसे स्टाइल में मोड़ने और तैनात करने की अनुमति देता है. एक बार तैनात होने के बाद इसके हिंज सेगमेंट को लॉक कर देते हैं. 


हिंज के लॉक होने की पुष्टि
टेलीमेट्री डेटा ने होल्ड-डाउन के सफल रिलीज, बूम की प्रारंभिक गति और सभी हिंज के लॉक होने की पुष्टि कर दी है. इसे कक्षा में तैनात करने में लगभग 9 सेकंड का समय लगा, जो 8 से 12 सेकंड की अनुमानित सीमा के भीतर था. हिंज लॉकिंग और होल्ड-डाउन रिलीज के लिए सभी टेलीमेट्री संकेतों ने इसे नाममात्र पैरामीटर के भीतर होने की सूचना दी. इसका मतलब है कि इसकी तैनाती में कोई खामी नहीं है.


यह उपलब्धि आदित्य-एल1 मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि सही ढंग से तैनात मैग्नेटोमीटर बूम अब वैज्ञानिकों को अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र की सटीक माप इकट्ठा करने में मदद करेगा. इससे सौर घटनाओं और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव के बारे में जानकारी मिलेगी.


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