नई दिल्ली: हाल में हुए ट्रेन हादसे के पीछे आतंकवादी भी हो सकते हैं ?  एबीपी न्यूज से खास बातचीत में रेल राज्य मंत्री सामान्य मनोज सिन्हा ने कानपुर और आंध्रप्रदेश के कुनेरू में हुई दुर्घटनाओं को सामान्य नहीं माना है.

  • 20 नवंबर 2016- यूपी के कानपुर में पटरी से उतरी ट्रेन, 150 लोगों की मौत
  • 21 जनवरी 2016- आंध्रप्रदेश के कुनेरू में पटरी से उतरी ट्रेन, 39 लोगों की मौत

क्यों आ रहा है आतंकियों का नाम

क्या ये दुर्घटनाएं सामान्य हैं ?  क्या कोई तकनीकी गलती थी ? या फिर कोई सोची समझी साजिश थी? हाल में हुई ट्रेन दुर्घटनाओं को सरकार ने सामान्य नहीं माना है.  एबीपी न्यूज से बात करते हुए रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने बड़ा बयान दिया है.

आतंकी साजिश से इनकार नहीं- सिन्हा

मनोज सिन्हा ने कहा है कि रेल हादसों में आतंकी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा है कि हादसों के बाद जिस तरह से रेल ट्रैक की हालत मिली है, उससे लग रहा है कि यह आतंकी साजिश हो सकती है.

आतंकी कार्रवाई के पहलू से हो रही है जांच

सरकार की मानें तो ट्रेन दुर्घटनाओं की जांच में अब आतंकी कार्रवाई के पहलू से भी हो रही है और इंतजार नतीजे आने का है. सारी जांच अब आईबी, एनआईए, एटीएएस, आरपीएफ और पुलिस पर टिकी हैं, लेकिन इसी बहाने रेलवे की सुरक्षा अब सरकार की प्राथमिकता में आ गई है.

आखिर रेल दुर्घटनाओं के पीछे आतंकी साजिश का शक पनपा कहां से ? ऐसा क्या हुआ कि आज सरकार जांच में ये पहलू जोड़ने को मजबूर है कि कहीं हाल की रेल दुर्घटनाओं के पीछे आतंकी गुट तो नहीं हैं ?

बिहार में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुए खुलासे

बिहार में पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में पुलिस ने दस दिन पहले तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. नेपाल से लगा यह इलाका मोतिहारी आपराधिक गतिविधियों के लिए बदनाम है. ये वही जगह है जहां हाल ही में एक व्यापारी को एके 47 से भून दिया गया था और 4 साल पहले इंडियन मुजाहिदीन का सरगना यासीन भटकल पकड़ा गया था.

16 जनवरी गिरफ्तार हुए इन लोगों का नाम उमाशंकर पटेल, मुकेश यादव  और मोती पासवान है. लेकिन इन तीनों ने जो खुलासे किए उसने बिहार से लेकर दिल्ली तक और उसके बाद कानपुर से लेकर कुनेरू तक हलचल मचा रखी है.

तीनों ने घोरासन में रेल पटरी पर बम लगाना कबूला- पुलिस

पुलिस का दावा है कि तीनों ने पूर्वी चंपारण के ही घोरासन में रेल पटरी पर बम लगाना कबूला, जिसे गांववालों की सतर्कता से पुलिस ने डिफ्यूज कर दिया था. जांच चलती रही और जब तीनों पकड़े गए तो कई राज़ खुल गए.

खबर है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इन लोगों को ट्रैक पर बम लगाने के लिए तीन-तीन लाख रुपए दिए और ऐसी ही हरकत लिए कुछ और टारगेट्स भी दिए गए थे.

क्या घोरासन की घटना के पीछे आईएसआई थी ?

गिरोह के पूरे नेटवर्क का खुलासा भी हैरानी भरा है, आका दुबई में बैठा शमसुल हूडा है और सरगना नेपाल में छुपा ब्रजेश गिरी है. दोनों आईएसआई के इशारे पर काम करते हैं. इन तीनों के जरिए शुरूआती सबूत तो मिल गए कि घोरासन की घटना के पीछे आईएसआई थी, लेकिन क्या कानपुर और कुनेरू में भी ऐसी ही साजिश रची गई ?