लीग से हटकर हैदराबाद ब्लू, इकबाल जैसी फिल्में बनाने वाले फिल्म डायरेक्टर नागेश कुकुनूर ने एबीपी आइडियाज ऑफ इंडिया समिट में शनिवार को शिरकत की. इस दौरान उनके साथ फिल्म डायरेक्टर कबीर खान और आनंद एल राय भी थे.


जब नागेश कुकुनूर से पूछा गया कि पिछले 10 साल के और आज के सिनेमा में क्या बदलाव आया है और क्या आज के दौर में फिल्म बनाना मुश्किल है तो उन्होंने कहा, आज के दौर में फिल्में बनाना ज्यादा आसान है क्योंकि ऑडियंस तक पहुंचने के कई माध्यम हैं. ओटीटी के कारण हमें अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाने में मुश्किल नहीं होती. मैंने हमेशा ऐसी फिल्में बनाईं, जो मुझे समझ में आएं. इसकी फिक्र नहीं की कि ये कैसे दर्शकों तक पहुंचेगी. मैंने फिल्मों के बिजनेस को लेकर ज्यादा परवाह नहीं की, जो असल में काफी जरूरी है. इसलिए मेरे लिए ओटीटी एक वरदान है.



इस सवाल पर कि नागेश कुकुनूर इकलौते ऐसे डायरेक्टर हैं, जो अंग्रेजी में सोचते हैं तो आपके लिए हिंदी के दर्शकों को समझाना कितना मुश्किल होता है? नागेश ने कहा कि मैं अंग्रेजी में सोचता हूं लेकिन जो भी मैं करता हूं वो सब हिंदी में होता है. मैं डायलॉग राइटर्स के साथ भी काम करता हूं. मैं अंग्रेजी बोलता हूं बस यही अलग है. वैसे भी हम सब जीने के लिए झूठ बोलते हैं तो लोगों से झूठ बोलना कहां मुश्किल है.   


वहीं कबीर खान का कहना है कि करियर के शुरुआती दिनों में मैंने अपनी फिल्मों के लिए संघर्ष किया है और मेरी पहचान डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर के रूप में हो गई थी, इसलिए भी मेरे लिए अपनी फिल्म के लिए निर्माता और एक्टर ढूंढना थोड़ा मुश्किल था. ऐसा इसलिए क्योंकि एक धारणा बन जाती है कि ये तो डॉक्यूमेंट्री फिल्में बनाता है और कमर्शियल फिल्मों के लिए न्याय नहीं कर सकता है. मेरे लिए काबुल एक्सप्रेस के समय जो स्थिति थी वो आज नहीं है क्योंकि अब स्थिति बदल गई है. कुछ समय के बाद जो सफलता मिलती है वो आपकी पहचान बनाने में मददगार साबित होती है. 


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