ABP C Voter Survey: केंद्र की मोदी सरकार के शुक्रवार (26 मई) को नौ साल पूरे हो गए. एक तरफ बीजेपी इसका जश्न मना रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस केंद्र सरकार पर बेरोजगारी, खेती-किसानी और महंगाई जैसे विभिन्न मुद्दों को लेकर हमले कर रही है.


नौ सालों में कई ऐसे मौके आए जब कहा गया कि सरकार झुक गई. इनमें से एक तीनों कृषि कानून थे जिसके खिलाफ किए गए लंबे आंदोलन के बाद केंद्र सरकार को इसे वापस लेना पड़ा. इसके बाद चर्चा हुई कि क्या मोदी सरकार ने कृषि कानून विरोध के कारण वापस लिया या इसे वापस लेकर सुधार किया?


इस सवाल को लेकर एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने सर्वे किया है. सर्वे के मुताबिक, 42 फीसदी लोगों ने माना कि कानून वापस लेकर केंद्र सरकार ने समय पर सुधार किया. वहीं 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सरकार विरोध के कारण पीछे हट गई तो वहीं 11 परसेंट लोगों ने कहा कि अभी इस पर कुछ नहीं कह सकते. सर्वे में 2 हजार 118 लोगों की राय शामिल है. 


क्या आपको लगता है मोदी सरकार ने कृषि कानून को वापस लेकर समय पर सुधार किया या विरोध की वजह से झुकना पड़ा?
समय पर सुधार कर लिया-42%
विरोध की वजह से पीछे हटे-47%
कह नहीं सकते-11%


कृषि कानून क्या थे? 
तीन कृषि विधेयकों को सितंबर 2020 में राज्यसभा ने मंजूरी दी थी. फिर ये तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद कानून बन गए थे. इसमें पहला कानून कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण), बिल कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन तथा कृषि सेवा पर करार और तीसरा आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम था. 


कब कानून वापस लिया?
तीनों कृषि कानूनों को किसानों ने काला कानून बताते हुए दिल्ली के गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया. प्रदर्शनकारी किसानों ने दावा किया कि इसे उघोगपतियों के लिए लाया गया है. यह विरोध प्रदर्शन एक साल से ज्यादा तक चला.


इस बीच सरकार और किसान नेताओं में कई दौर की बैठक हुई थी, लेकिन मामला नहीं सुलझा. आखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में राष्ट्र को संबोधन करने के दौरान कहा कि हम कानून वापस ले रहे हैं. 


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