Afghanistan Crisis: तालिबान ने भले ही भारत से बातचीत शुरू कर दी है लेकिन सबसे बड़ा सवाल उन अफगान सेना के कैडेट्स और अधिकारियों का है जो इन दिनों भारत में मिलिट्री-ट्रेनिंग लेने आए हुए हैं. अफगान सेना के करीब 130 कैडैट्स और अफसर ऐसे हैं जो आईएमए और एनडीए जैसे मिलिट्री-संस्थानों में कोर्स कर रहे हैं.
तालिबान के सामने अफगान सेना के सरेंडर करने के साथ ही इन सभी का भविष्य अधर में लटक गया है. ऐसे में भारतीय सेना इन सभी को सिविल-प्रोफेशनल कोर्स कराने का प्लान तैयार कर रही है, ताकि ट्रेनिंग खत्म करने के बाद ये सभी सैन्य-अफसर और कैडेट्स किसी मित्र-देश में वीजा लेकर रिफ्यूजी के तौर पर शरण ले सकें. भारत सरकार खुद वीजा दिलाने में इनकी मदद करने के लिए तैयार है.
अफगान सेना के करीब 80 कैडेट्स ट्रेनिंग ले रहे
जानकारी के मुताबिक, देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (आईएमए), पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी और ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (चेन्नई और गया) में अफगान सेना के करीब 80 कैडेट्स ट्रेनिंग ले रहे हैं. इसके अलावा अफगान सेना के करीब 50 सीनियर अधिकारी ऐसे हैं जो भारत में हायर डिफेंस कोर्स या फिर कोई स्पेशिलाइजेश कोर्स कर रहे हैं.
अफगान सेना के सामने सरेंडर करने के चलते इन सभी कैडेट्स और अधिकारियों को खासा डर सताने लगा है. क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान अफगान सेना के अधिकारियों को चुन-चुन कर ठिकाने लगा रही है. साथ ही उनके परिवार भी तालिबान के निशाने पर हैं.
अफगान सेना के अधिकारियों की मिलिट्री-ट्रेेनिंग जारी रहेगी
सूत्रों की मानें तो अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद भले ही अफगान सेना बिखर गई हो लेकिन भारत में ट्रेनिंग या फिर कोर्स करने आए अफगान सेना के अधिकारियों की मिलिट्री-ट्रेेनिंग जारी रहेगी. लेकिन क्योंकि अब उनके लिए ट्रेनिंग खत्म होने के बाद कोई विकल्प नहीं बचा है, ऐसे में भारत में ही एनडीए और आईएमए जैसे संस्थानों में उन्हें कोई गैर-सैन्य प्रोफेशनल कोर्स भी कराया जाएगा.
कुछ अफगान सैनिकों के परिवारवालों ने पहले से ही मित्र-देशों में शरणार्थी बनने के लिए वीजा एप्लाई कर दिया है. ऐसे में भारत इन अफगान सैनिकों को उन्हीं देशों में भेज देगा जहां उनके परिवारवालों ने रिफ्यूजी बनने के लिए आवेदन किया है.
अफगानिस्तान के 100-150 कैडेट्स हर साल भारत में लेते ट्रेनिंग
सूत्रों की मानें तो अफगान सेना के अधिकारियों को भारत इसलिए वापस अफगानिस्तान नहीं भेजना चाहता क्योंकि उन्हें मिलिट्री-ट्रेनिंग मिल चुकी है, ऐसे में तालिबान उन्हें अपने लिए खतरा मान सकता है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. आपको बता दें कि हर साल भारत में अफगानिस्तान के 100-150 कैडेट्स और सैन्य-अफसर ट्रेनिंग के लिए आते रहे हैं. वर्ष 2017 में अफगान सेना की महिला सैन्य अधिकारी भी चेन्नई स्थित ओटीए एकेडमी में ट्रेनिंग लेने के लिए आई थी. उस वक्त एबीपी न्यूज उनकी ट्रेनिंग कवर करने के साथ-साथ खास बातचीत भी की थी.
तालिबान के टॉप कमांडर और विदेश मंत्री के प्रबल दावेदार, शेर मोहम्मद अब्बास स्तेनिकजई ने भी सन्न 1982 में आईएमए से ट्रेनिंग ली थी. उस वक्त वे अफगान सेना की तरफ से ट्रेनिंग लेने आए थे. हालांकि, बाद में वे अफगान सेना छोड़कर तालिबान में शामिल हो गए थे. जानकारी के मुताबिक, इस वक्त तालिबान के कम से कम आधा-दर्जन टॉप ऐसे कमांडर हैं जो कभी ना कभी भारत में मिलिट्री ट्रेनिंग ले चुके हैं.
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