Manish Sisodia Review Petition In SC: आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार (29 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट से जमानत नहीं मिलने पर उन्होंने यह याचिका दायर की है.


30 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शराब नीति मामले में जमानत देने से मना कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जांच एजेंसी 338 करोड़ रुपये का लेनदेन साबित कर पाई है. ऐसे में फिलहाल उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है.


कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर निचली अदालत में 6 महीने में मुकदमा खत्म नहीं होता तो मनीष सिसोदिया जमानत के लिए दोबारा आवेदन दे सकते हैं.


राउज एवेन्यू कोर्ट से भी नहीं मिली थी राहत


उधर हाल ही में दिल्ली के आबकारी नीति मामले में सिसोदिया को राउज एवेन्यू कोर्ट से भी राहत नहीं मिली. कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को 11 दिसंबर तक के लिए बढ़ा दिया था. अदालत ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से कई दस्तावेज दाखिल करना बाकी है. कोर्ट ने वकीलों से नाराजगी जताते हुए कहा था कि 207 सीआरपीसी का पालन जल्द हो, जिससे सुनवाई शुरू हो सके.


इससे पहले 17 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से कहा था कि अगर दिल्ली की एक्साइज पॉलिसी में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत आपराधिक अपराध का हिस्सा नहीं है तो सिसोदिया के खिलाफ मनी-लॉन्ड्रिंग का केस साबित करना मुश्किल होगा. 


सिसोदिया के केस में अब तक क्या-क्या हुआ?


मनीष सिसोदियो को इसी साल 26 फरवरी को कथित घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए सीबीआई ने गिरफ्तार किया था और तब से वह हिरासत में हैं. उन्होंने 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से भी इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मार्च में ईडी ने तिहाड़ जेल में पूछताछ के बाद सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था.


30 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने सिसोदिया को सीबीआई मामले में यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि वह उपमुख्यमंत्री और एक्साइज मिनिस्टर रहे हैं, जिससे एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति होने का कारण गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. 


3 जुलाई को हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि सिसोदिया के खिलाफ आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं, उन्हें दिल्ली सरकार की एक्साइज पॉलिसी में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया था.


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