महिला आयोग की तर्ज पर पुरुष आयोग बनना चाहिए, जिसको लेकर आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद अशोक कुमार मित्तल ने राज्यसभा में National Commission for Men Bill 2025 इंट्रोड्यूस किया है. इस बिल पर एबीपी न्यूज ने आप आदमी से राज्यसभा सांसद डॉ. अशोक कुमार मित्तल से खास बातचीत की.
डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने राज्यसभा में राष्ट्रीय पुरुष आयोग विधेयक, 2025 (National Commission for Men Bill, 2025) पेश किया है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य पुरुषों के अधिकारों, कल्याण और मानसिक-सामाजिक सुरक्षा के लिए एक वैधानिक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना करना है. सांसद मित्तल ने कहा कि कई मामलों में पुरुष झूठे आरोपों, कानूनी दुरुपयोग और मानसिक उत्पीड़न का शिकार होते हैं, जिनके लिए कोई समर्पित संस्थागत व्यवस्था नहीं है.
पुरुषों से जुड़े कानूनों पर करेगा काम
अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि ये आयोग पुरुषों से जुड़े कानूनों और नीतियों की समीक्षा करेगा और आवश्यक सुधारों की सिफारिश करेगा. आयोग पुरुषों को कानूनी सहायता, काउंसलिंग और पुनर्वास सहायता उपलब्ध कराने में भूमिका निभाएगा. मानसिक स्वास्थ्य, आत्महत्या, पारिवारिक विवाद, घरेलू उत्पीड़न और कार्यस्थल तनाव जैसे मुद्दों पर शोध और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएंगे. आयोग को जांच के लिए सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां दी जाएंगी. डॉ. अशोक कुमार मित्तल ने कहा, ''यह विधेयक समावेशी और संतुलित लैंगिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.''
विधेयक से जुड़ी खास बात
विधेयक के अनुसार, राष्ट्रीय पुरुष आयोग को सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां देने का प्रस्ताव है. इसका मतलब है कि आयोग मामलों की जांच कर सकेगा. गवाहों को बुला सकेगा और दस्तावेज़ों की मांग कर सकेगा. इससे आयोग की सिफारिशें केवल सलाह तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि उनका प्रभावी और व्यावहारिक महत्व होगा. उनके अनुसार, जब महिलाओं बच्चों और अन्य वर्गों के लिए अलग आयोग हो सकते हैं तो पुरुषों के लिए भी एक वैधानिक मंच होना चाहिए.
ये भी पढ़ें: कलाम से पहले वाजपेयी को मिला था राष्ट्रपति बनने का ऑफर, क्यों अटल ने किया खारिज और आडवाणी को नहीं दी पीएम की कुर्सी?