नई दिल्ली: किसानों की ओर से कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल से प्रदर्शन किया जा रहा है. इस बीच शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की नेता हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आज दोपहर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की. इस प्रतिनिधिमंडल में बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) के सदस्य शामिल थे.


इस दौरान हरसिमरत कौर बादल ने कहा, 'केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान 500 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाना चाहिए.' इससे पहले अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने के दौरान बहुत सारे किसानों की मौत हो गई, लेकिन केंद्र सरकार इस मुद्दे पर बात करने को तैयार नहीं है.


वहीं दिल्ली के जंतर मंतर पर जारी ‘किसान संसद’ के सातवें दिन बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग की गई जो पिछले साल लाया गया था. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया, ‘किसान संसद ने प्रस्ताव पारित किया है कि बिजली संशोधन विधेयक 2020 या 2021 को तत्काल वापस लिया जाए.' एसकेएम ने कहा कि संसद के मानसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक 2020 को सूचीबद्ध करना स्तब्ध करने वाला निर्णय है जबकि सरकार पिछले साल दिसंबर से इसे वापस लेने का आश्वासन दे रही है.


विपक्षी दलों ने पहले भी राष्ट्रपति से किया था आग्रह


इससे पहले देश के सात विपक्षी दलों ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार को पेगासस जासूसी मामले और किसानों के मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने के लिए निर्देश दें. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने बताया कि सात पार्टियों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह केंद्र सरकार को पेगासस जासूसी मामले और किसानों के मुद्दों पर संसद में चर्चा कराने के लिए निर्देश दें. इस दौरान एनसीपी के अलावा बीएसपी, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, नेशनल कांफ्रेंस, भाकपा और माकपा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर आग्रह किया है.


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