नई दिल्ली: देश के कई राज्यों ने पिछले 30 दिनों में स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी है. मई की शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर अपने चरम पर पहुंच गी थी. लेकिन अब इस दूसरी लहर में 90% से अधिक मामलों में गिरावट आई है. अन्य राज्यों की तरह कर्नाटक ने भी अब स्कूलों को खोलने की अनुमति देने वाला राज्य बन गया है. हालांकि शुरुआती दौर में सिर्फ कक्षा 9 से 12 के बच्चों को ही स्कूल आने की इजाजत होगी.


इससे पहले, गुजरात सरकार ने कोरोना सुरक्षा दिशानिर्देशों के साथ 26 जुलाई से 9 से 12 के बच्चों  के लिए कक्षाएं खोलने की घोषणा की थी. इसी तरह, छत्तीसगढ़ ने पहली से पांचवीं और आठवीं तक और दो अगस्त से दसवीं से बारहवीं तक 50% क्षमता के साथ कक्षाएं फिर से खोल दीं.


इसके साथ ही ओडिशा ने स्कूलों को कक्षा 10 से 12 के लिए फिर से खोलने की अनुमति दी है. महाराष्ट्र ने 15 जुलाई से कक्षा 8 से 12 के लिए जीरो एक्टिल केस वाले इलाकों में ही स्कूलों को फिर से खोलने की अनुमति दी है. वहीं उत्तर प्रदेश में कक्षा 9-12 के लिए स्कूलों को अगस्त से खोलने की अनुमति दी गई.


जिन राज्यों में पिछले 30 दिनों में स्कूल खुले हैं, वहां मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है. कई प्राइवेट स्कूलों में उपस्थिति 50% के करीब रही. ज्यादातर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि बच्चों में, डेल्टा वेरिएंट के बावजूद कोरोना वायरस गंभीर बीमारी नहीं फैलाता है. वहीं कुछ परिवारों में बच्चों से घर के बड़े बुजुर्गों में वायरस के फैलने को चिंतित हैं. इसके अलावा, वर्तमान में भारत के लगभग 50 जिले हैं जिनकी पॉजिटिविटी रेट 10% से अधिक है, इनमें से अधिकांश जिले केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में केंद्रित हैं.


सर्वे करने वाली संस्था लोकल सर्किल लगातार कोरोना काल में बच्चों की शिक्षा और उन्हें स्कूल भेजने तको अभिवावकों से प्रतिक्रिया ले रही है. जुलाई में लोकल सर्वे ने एक सर्वे किया था जिसमें बताया गया था कि 48% अभिवावक अपने बच्चों को वैक्सीन ना लगने तक स्कूल भेजने के लिए इंजतार करने को तैयार थे. इसी सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 30% माता-पिता अपने जिले में मामलों के शून्य होने पर बच्चों को भेजने के लिए तैयार हैं, जबकि 21% माता-पिता तुरंत भेजने के इच्छुक थे.


माता-पिता के बीच बहुत सारी चर्चाओं और राज्य सरकारों हाल की आदेशों को देखते हुए, लोकल सर्किल ने यह समझने के लिए एक और सर्वेक्षण किया है कि माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने अब क्या सोचते हैं. अगस्त के सर्वेक्षण में देश से के 378 जिलों में रहने वाले माता-पिता से 47,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं. प्रतिभागियों में 66% पुरुष थे जबकि 34% महिलाएं थीं. 42% उत्तरदाता टियर 1 जिलों से थे, 28% टियर 2 से और 30% उत्तरदाता टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से थे.


जानिए लोकल सर्किल सरवे की बड़ी बातें



  • 53% माता पिता ने कहा कि अगस्त-सितंबर मे स्कूल खुलने चाहिए, जबकि 44 प्रतिशत ने अभी भी बच्चों के स्कूल भेजने से मना किया. 

  • 74% माता-पिता जो बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक हैं, चाहते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक स्कूल में उनके जिला प्रशासन के माध्यम से पर्याप्त रैपिड एंटीजन टेस्ट किट उपलब्ध हों.

  • 89% माता-पिता जो बच्चों को स्कूल भेजने के इच्छुक हैं, चाहते हैं कि राज्य सरकारें यह सुनिश्चित करें कि जिला प्रशासन स्कूलों में / उनके पास मुफ्त टीकाकरण शिविर आयोजित करें ताकि सभी कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण मिल सके.

  • इसके साथ ही जो माचा-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते हैं उनका कहना है कि जिन जिलों में एक भी केस नहीं है, वहां स्कूल खोले जाएं. और कड़ी निगरानी रखी जाए.


उद्घाटन की सफल प्रबंधन के लिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. इसके साख ही स्थानीय जिला प्रशासन रोजाना आने वाले नए केस पर कड़ी नजर रखनी होगी.  अगर सकारात्मकता दर (टीपीआर) 2-3% से ऊपर जाती है, तो जिले में स्कूलों को फिर से बंद करने के लिए फैसला तत्काल कॉल की जानी चाहिए. साथ ही, राज्य सरकार ने स्कूलों को खोलने की अनुमति देने का मतलब यह नहीं है कि स्कूलों को फिर से खोलना होगा. स्कूलों को अपनी कॉल खुद लेनी चाहिए.


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