मध्य प्रदेश के जबलपुर का रहने वाला एक मुस्लिम युवक आपना वादा पूरा करने के लिए रविवार को नागपुर पहुंचा था. दरअसल पिछले महीने एक हिंदू परिवार में सात साल तक पालन-पोषण होने के बाद एक एक 19 वर्षीय मुस्लिम युवक अपने माता पिता के पास लौट आया था. जिसने घर से निकलते वक्त अपने पालक माता-पिता से वाया किया था कि वह 12 जुलाई को अपनी पालक मां के जन्मदिन पर उनसे मिलने आएगा.


इंडियन एक्सप्रेस में छपी इस खबर के मुताबिक मानसिक रूप से विकलांग आमिर 2012 में अपने गृहनगर जबलपुर से लापता हो गया था, वह किसी तरह नागपुर रेलवे स्टेशन पर उतरा जहां एक हिंदू परिवार ने सात साल तक उसकी परवरिश की, वहीं पिछले महिने 30 जून को मोहम्मद आमिर अपने मुस्लिम माता-पिता के पास लौट आया था. 


बता दें कि आठ साल की उम्र में जब आमिर लापता हुआ था तो पुलिस उसके घर का पता नहीं लगा पाई थी. जिसके बाद उसे शहर के एक सरकारी चाइल्डकेअर होम में सौंप दिया गया था. जहां से उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता समर्थ दामले द्वारा संचालित दूसरे घर में ले जाया गया. वहीं दामले का घर बंद होने की दशा में सभी बच्चों को उनके माता-पिता या रिश्तेदार वापस ले गए थे. फिलहाल आमिर कहीं नहीं जा सका, जिसके कारण दामले और उनकी पत्नी लक्ष्मी ने उन्हें रखने का फैसला किया.


वहीं संयोग से इस साल अपनी एसएससी परीक्षा के लिए आधार कार्ड प्राप्त करते समय पता चला कि दामले ने जिस लड़के का नाम अमन रखा था, वह वास्तव में जबलपुर का मोहम्मद आमिर था. जल्द ही उनके माता-पिता से संपर्क किया गया और दंपति ने आमिर को उनके जैविक पिता अयूब खान और मां मेहरुन्निसा को सौंप दिया. 


फिलहाल सोमवार को मोहम्मद आमिर जबलपुर से वापस नागपुर अपने पालक मां लक्ष्मी का जन्मदिन मनाने के लिए नागपुर आया था. वहीं आमिर के पिता अयूब खान का कहना है कि वह दामले परिवार को अपने खोए बेटे की तरह देखभाल करने के लिए धन्यवाद देना चाहते हैं. उनका कहना है कि वह सारी उम्मीद खो चुके थे, लेकिन उन्हें पता था कि वह अपने बेटे को फिर से देख सकते हैं.


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