20 करोड़ से नहीं चलता झारखंड के विधायकों का काम, अब 50 करोड़ की मांग
विधानसभा सत्र के दौरान शून्य काल में एक साथ 16 विधायकों ने 4 करोड़ सालाना की राशि को बढ़ाकर 10 करोड़ सालाना करने का मामला उठाया.

रांची: कहते हैं कि नेता जनता के मुद्दों पर अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन बात जब जनता के नाम पर पैसे लेने की हो तो दल और पार्टियों की सीमा भी मिट जाती है. कुछ ऐसा ही उदाहरण गुरुवार को झारखंड की विधानसभा में भी देखने को मिला. झारखंड में मौजूदा समय में हर एक विधायक को एक साल में अपने क्षेत्र का विकास करने के लिए 4 करोड़ रुपये मिलते हैं और अगर 5 साल का आंकड़ा देखें तो ये रुपये 20 करोड़ होते हैं. यानी हर एक जन प्रतिनिधि को 5 साल के कार्यकाल में जनता की सुविधाओं के विकास के लिए 20 करोड़ मिलते हैं.
लेकिन गुरुवार को विधानसभा सत्र के दौरान शून्य काल में एक साथ 16 विधायकों ने 4 करोड़ सालाना की राशि को बढ़ाकर 10 करोड़ सालाना करने का मामला उठाया. इसमें सत्ता पक्ष के विधायक तो शामिल थे ही साथ ही साथ विपक्ष के विधायकों ने भी इसका पूरा समर्थन किया. बता दें कि झारखंड में कांग्रेस,JMM और RJD की मिली जुली सरकार है और BJP प्रमुख विपक्षी पार्टी है.
कांग्रेस की तरफ से विधायक उमाशंकर पटेल, अम्बा प्रसाद तो JMM की तरफ से मथुरा महतो और BJP से JP पटेल और किसुन दास समेत कुल 16 विधायकों ने विधायक निधि का पैसा 4 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने की मांग की. वैसे देखने में ये बात अच्छी लग रही है कि नेता अपने क्षेत्र के विकास के लिए इतने तत्पर हैं कि पैसा बढ़ाने के लिए पार्टी से ऊपर उठकर एक साथ हों लेकिन भारत की हकीकत देखें तो शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र मिलेगा जहां की जनता अपने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के काम से संतुष्ट हों.
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Source: IOCL






















