1 October History First Postal Ticket Released:  तकनीक का हाथ पकड़ कर तेजी से विकसित होती दुनिया के साथ नई पीढ़ियां बखूबी कदमताल कर रही हैं. आज किसी का हाल जानना हो तो मोबाइल पर उंगलियां फिराते हैं और सेकेंडों में सामने वाले की खबर मिल जाती है. पर कागज के एक टुकड़े पर अपना सारा हाल लिखकर मीलों दूर अपनों तक पहुंचाने और उस सूरते हाल को पढ़ने की ललक की बात ही कुछ और थी.

भले ही आज चिट्ठियों का दौर खत्म हो गया है लेकिन उनमें दिल निकाल कर रख देने वालों के जज्बातों को पहुंचाने के लिए जो सबसे जरूरी चीज होती थी वह है 'डाक टिकट'. आज के दिन यानी 1 अक्टूबर का इतिहास इसी डाक टिकट की शुरुआत से जुड़ा है. वक्त के साथ डाक टिकट की रूपरेखा भी बदली है. गुलामी के दौर से आजादी की नई सुबह और आज के मजबूत भारत की झलक, टाइम लाइन की तरह डाक टिकट पर अंकित है. 

विक्टोरिया के नाम पर जारी हुआ पहला डाक टिकट

अंग्रेजी हुकूमत ने भारत में डाक टिकट की शुरुआत की थी. 1 अक्टूबर, 1854 को भारत में महारानी विक्टोरिया के नाम पर पहला डाक टिकट जारी हुआ और इसी दिन भारत में डाक विभाग की स्थापना हुई थी. 169 सालों के सफर में डाक टिकटों की सूरत भी बदल गई है. साल 1947 के पहले के डाक टिकट ब्रिटिश केंद्रित हुआ करते थे लेकिन देश की आजादी के बाद डाक टिकटों पर मजबूत होते भारत की गाथा भी दर्ज होती गई है.

आजाद भारत में महात्मा गांधी के नाम पहला डाक टिकट

साल 1947 में गुलामी की बेड़ियां तोड़कर आजाद हुए भारत का पहला डाक टिकट राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर जारी हुआ था. बापू के नाम पर ही भारत में सबसे ज्यादा डाक टिकट जारी हुए हैं. इसे महज संजोग ही कहा जाएगा की जिस तारीख को डाक टिकट की शुरुआत हुई उसके अगले ही दिन (2 अक्टूबर) बापू की जयंती भी है. उसके बाद स्वतंत्रता सेनानियों से लेकर ISRO तक देश की तमाम उपलब्धियां और भारत को नई राह दिखाने वालों के चेहरे डाक टिकट पर अंकित होते गए हैं.

कैसे जारी होते हैं डाक टिकट

डाक टिकट किसके नाम पर जारी होंगे यह संबंधित शख्सियत के सामाजिक योगदान पर आधारित होते हैं. क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, भारत रत्न मदर टेरेसा, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पूर्व राष्ट्रपति वीवी गिरि, पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, लोकप्रिय इंजीनियर डॉ एम विस्वेसरैया और समाज सुधारक डीके कर्वे ऐसे चेहरे हैं जिनके जीवनकाल में ही उनके नाम पर डाक टिकट जारी हुए.

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