नई दिल्ली: सरकारी विभागों में रिश्वत की हकीकत से किसी को इनकार नहीं. बिना रिश्वत दिए सरकारी फाइलें या तो सरकती नहीं, या फिर उनमें त्रुटियां निकालकर ठिकाने लगा दी जाती हैं. लेकिन रिश्वत देने पर सारा काम आसान हो जाता है. हमारे समाज में पैठ बनाए रिश्वत को लेकर 2019 में सर्वे किया गया. ‘लोकल सर्किल एंड ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया’ के सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ. पचास फीसद से ज्यादा भारतीयों ने माना कि उन्हें सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ी. और सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार भू, राजस्व, रजिस्ट्रेशन से संबंधित मामलों में है.


दो में से एक भारतीय को देनी पड़ी रिश्वत


संस्था की तरफ से कराये गये सर्वे में बीस राज्यों के 1.9 लाख लोगों को शामिल किया गया था. जिन्होंने माना कि रिश्वत से सरकारी काम का कराना आसान हो जाता है. उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया. राजस्थान में 10 लोगों में से 7 लोगों ने माना कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी. जबकि केरल में 10 में से 1 को रिश्वत देने की नौबत आई. 2019 के सर्वे में 11 राज्यों में संपत्ति रजिस्ट्रेशन या भूमि विवाद से संबंधित मामलों में भ्रष्टाचार टॉप पर था. जबकि 6 राज्यों में पुलिस विभाग को सबसे भ्रष्ट विभाग पाया गया. वहीं मध्य प्रदेश में म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन सबसे ज्यादा भ्रष्ट महकमा रहा.


रिश्वतखोरी के मामले में विभागों की हिस्सेदारी


संपत्ति रजिस्ट्रेशन और भूमि विवाद की 26 फीसद, पुलिस महकमे की हिस्सेदारी 19 फीसद, म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की हिस्सेदारी 13 फीसद, ट्रांसपोर्ट विभाग की हिस्सेदारी 13 फीसद, टैक्स विभाग 8 फीसद, बिजली बोर्ड 3 फीसद


अन्य 13 फीसद और 5 फीसद जल विभाग की हिस्सेदारी रही. हालांकि पिछले साल की तुलना में इस साल रिश्वतखोरी में गिरावट दर्ज की गई. 2018 में 51 फीसद लोगों ने माना था कि उन्हें रिश्वत देनी पड़ी.