मान लीजिए आपका एक दुश्मन है जो चुपके से आपकी जिंदगी में घुस आता है, नाम है मोटापा. यह न तो मास्क पहनता है और न बंदूक लहराता है, लेकिन धीरे-धीरे आपकी सेहत और खुशियां बर्बाद करके मौत की खाई में धकेल देता है. दुनिया में करोड़ों लोग इसे सीरियस नहीं लेते, लेकिन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल 28 लाख मौतें मोटापे से होती हैं. ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि कैसे मोटापा बढ़ रहा है, यह किन बीमारियों की वजह है और इसपर कंट्रोल क्यों नहीं होता है...
सवाल 1- मोटा तो हर कोई है, लेकिन मोटापा क्या और कितनी तरह का होता है?जवाब- WHO की 2025 फैक्ट शीट के मुताबिक, मोटापा एक क्रॉनिक बीमारी है जहां बॉडी में चर्बी इतनी ज्यादा जमा हो जाती है कि सेहत पर सीधा हमला बोल देती है. इसे चेक करने का आसान तरीका है बॉडी मास इंडेक्स (BMI). इसमें लोगों की लंबाई और वजन का अनुपात निकालकर तय किया जाता है कि कोई मोटा है या नहीं.
आमतौर पर मोटापे को 3 अलग-अलग स्तरों में बांटा जाता है. इसे मेडिकल भाषा में ओबेसिटी क्लासिफिकेशन (Obesity Classification) कहते हैं. डॉक्टर मोटापे को BMI के आधार पर बांटते हैं. क्योंकि BMI बढ़ने पर डायबिटीज, हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर और अन्य बीमारियों का रिस्क भी बढ़ जाता है. इसलिए इलाज भी BMI के हिसाब से तय होता है. BMI एक आसान तरीका है ,ये जानने का कि आपका वजन लंबाई के हिसाब से सही है या नहीं.
डॉक्टर्स के मुताबिक, अगर आपका बॉडी BMI 30 से ज्यादा है तो आपको अपनी हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है. इस कंडीशन में आपका मोटापा बढ़ रहा है. वहीं, अगर आपका BMI 40 के ऊपर है, तब आपको डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकता है.
BMI चेक करने के लिए आपको अपना वजन किलोग्राम में और ऊंचाई मीटर में मापनी होगी. फिर वजन को ऊंचाई के वर्ग से भाग कर दें. उदाहरण के लिए अगर आपका वजन 70 किलोग्राम है और ऊंचाई 1.75 मीटर है, तो आपका BMI 70/(1.75x1.75) = 22.86 होगा.
सवाल 2- दुनियाभर में मोटापा कितना फैल गया और भारत में हालात क्या हैं?जवाब- WHO की 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक 1990 से 2022 तक एडल्ट्स में मोटापा दोगुना से ज्यादा हो गया. 2022 में 43% एडल्ट्स ओवरवेट थे. दुनियाभर में करीब 88 करोड़ एडल्ट्स और करीब 16 करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार हैं.
WHO की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में हर 8वां शख्स मोटापे से जूझ रहा है. यह बीमारी इतनी तेजी से बढ़ रही है कि WHO इसे एपिडेमिक मान रहा है. मोटापा कार्डियोवस्कुलर डिजीज और कैंसर जैसी कई गंभीर बीमारियों के लिए रास्ता तैयार करता है.
WHO के मुताबिक, मोटापा नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों का कारण बन सकता है. इससे दिल की बीमारी और फेफड़े के इन्फेक्शन का जोखिम भी बढ़ता है. हर साल पूरी दुनिया में करीब 28 लाख लोग अधिक वजन या मोटापे के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं.
मेडिकल जर्नल 'द लांसेट' में प्रकाशित एक स्टडी में यह सामने आया है कि भारत में 2022 में लगभग 1.25 करोड़ बच्चे और किशोर मोटापे का शिकार बने. इन बच्चों और किशोरों की उम्र 5 साल से ज्यादा और 20 साल से कम है.
सवाल 3- किन वजहों से मोटापा दिन ब दिन बढ़ता जाता है?जवाब- मोटापा बढ़ने का सबसे बड़ा दुश्मन है जंक फूड. यह सिर्फ खा लिया, मोटे गए की बात नहीं है. इसके पीछे कई साइंटिफिक और रोजमर्रा की वजहें हैं...
- जंक फूड का तूफान: पिज्जा, बर्गर, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स और मैगी जैसी चीजें 500-1000 कैलोरी एक झटके में बढ़ा देते हैं, जबकि हमारी दादी की थाली में सिर्फ 300-400 कैलोरीज होती थी. भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का मार्केट पिछले 15 साल में 40 गुना बढ़ गया है.
- बैठे-बैठे जिंदगी गुजारना: औसत भारतीय अब दिन में 8-10 घंटे बैठता है, जिसमें ऑफिस, फोन चलाना और टीवी देखना भी शामिल है. पहले खेतों में 4-5 घंटे मेहनत होती थी, जिससे कैलोरी बर्न अपने आप हो जाता था. आज 70% शहरी लोग दिन में 5000 स्टेप्स भी नहीं चलते.
- नींद की कमी: 6 घंटे से कम सोने वाले लोगों में मोटापे का खतरा 55% ज्यादा होता है. रात में देर तक रील्स देखने से स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल बढ़ता है. यह पेट पर चर्बी जमने की सबसे बड़ी वजह है.
- स्ट्रेस और डिप्रेशन: टेंशन में लोग 'इमोशनल ईटिंग' करते हैं, यानी चॉकलेट, आइसक्रीम और समोसा जैसी चीजें खाते हैं. कोर्टिसोल हॉर्मोन फैट को पेट के आसपास स्टोर करता . ऊपर से ऑफिस का प्रेशर और ज्यादा मामला बिगाड़ देता है.
- दवाइयों का असर: डिप्रेशन की दवा, स्टेरॉयड, डायबिटीज की कुछ पुरानी दवाएं और गर्भनिरोधक गोलियां. यह सब साइड में वजन बढ़ाती हैं.
- शादी के बाद वाला 'हैप्पी फैट': NFHS-5 ने दिखाया कि शादी के 5 साल बाद महिलाओं में मोटापा 40-50% बढ़ जाता है. घर का खाना, कम एक्टिविटी और बच्चे की देखभाल इसमें बड़ा रोल प्ले करते हैं.
- बचपन से गलत आदतें: आज का बच्चा 5 साल की उम्र तक ही 2-3 घंटे रोज फोन या टीवी देखता है और कोल्ड ड्रिंक्स पीता है. एक स्टडी के मुताबिक, 2030 तक भारत में 2.7 करोड़ मोटे बच्चे होंगे.
- जेनेटिक्स और एनवायरनमेंट का खतरनाक कॉम्बो: अगर मम्मी-पापा मोटे हैं तो 70% चांस बच्चे का भी मोटा होने के होते हैं. लेकिन आज का खाना-पीना और बैठी लाइफ उस जीन को 'ऑन' कर देती है. पहले वो जीन सोया रहता था.
सवाल 4- मोटापे की वजह से किन बीमारियों का जोखिम बढ़ता है?जवाब- मोटापे की वजह से कई क्रॉनिक डिसीज का जोखिम बढ़ जाता है...
- 13 तरह के कैंसर: WHO ने साफ कहा है कि मोटापा 13 कैंसर की डायरेक्टर वजह है. ब्रेस्ट कैंसर, आंत का कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, लिवर, किडनी, गॉलब्लैडर, पैंक्रियास, ओवरी, थायरॉइड और प्रोस्टेट जैसे कैंसर हो सकते हैं.
- बांझपन: पुरुष और महिला दोनों इसके शिकार होते हैं. पुरुषों में स्पर्म काउंट 30-40% कम हो जाता है. महिलाओं में ओव्यूलेशन रुक जाता है.
- PCOD/PCOS: भारत में PCOS वाली हर 4 में से 3 लड़कियां ओवरवेट या मोटी होती हैं. अनियमित पीरियड्स, बांझपन, चेहरे पर बाल भी मोटापे से होते हैं.
- रात में सांस रुकना: मोटापे से गले में चर्बी जमा होती है, सांस की नली ब्लॉक हो जाती है. इससे रात में 50-100 बार सांस रुक जाती है.
- टाइप-2 डायबिटीज: 90-95% टाइप-2 डायबिटीज के मरीज मोटापे की वजह से ही होते हैं. भारत में हर 4 में से 1 डायबिटिक मरीज मोटापे की वजह से है. 10 किलोग्राम एक्स्ट्रा वजन डायबिटीज का रिस्क 4-5 गुना बढ़ा देता है.
- हार्ट अटैक और हाई ब्लड प्रेशर: मोटापे से खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, अच्छा वाला कम होता है. भारत मतें 30-40 साल के युवाओं में हार्ट अटैक का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर अब मोटापा बन गया है. पहले सिर्फ स्मोकिंग था. पेट की चर्बी बढ़ने से ब्लड प्रेशर 3-4 गुना तेजी से बढ़ता है.
- ब्रेन स्ट्रोक: मोटे लोगों में स्ट्रोक का खतरा 64% ज्यादा होता है. खासकर अगर पुरुष की कमर 90 सेंटीमीटर और महिलाओं की कमर 80 सेंटीमीटर से ज्यादा हो.
- लिवर फेल: हर 3 मोटे व्यक्ति में से 1 को नॉन-एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज होता है. अब भारत में 25-30% लोगों को यह हो रहा है. पहले सिर्फ शराब पीने वालों को होता था.
- घुटनों-कमर का दर्द: हर 5 किलोग्राम एक्स्ट्रा वजन घुटनों पर 20-30 किलोग्राम का एक्स्ट्रा प्रेशर डालता है. 50 साल की उम्र से पहले ही घुटना खराब होने के केस 10 गुना बढ़ गए हैं.
- डिप्रेशन और एंग्जायटी: मोटापा और डिप्रेशन एक-दूसरे को बढ़ाते हैं. यह सेहत पर दो धारी तलवार की तरह हमला करते हैं. इससे बॉडी इमेज खराब होती है और सोसाइटी का ताना मिलता है, जिससे मेंटल हेल्थ भी खराब होती है.
सवाल 5- मोटापे के खतरे को देखते हुए नई गाइडलाइंस क्या हैं?जवाब- लैंसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रोनोलॉजी कमीशन में पूरी दुनिया के 58 एक्सपर्ट डॉक्टर्स ने मोटापे की नई परिभाषा दी है. इसमें साफ कहा गया है कि कमर के आसपास जमा फैट या फिर लिवर और हार्ट में जमा फैट ज्यादा खतरनाक होता है. यह हाथ-पैर या स्किन के नीचे जमा फैट की तुलना में ज्यादा हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है. इससे कई क्रॉनिक डिजीज का जोखिम हो सकता है.
अभी तक मोटापा BMI से पता किया जाता था. इसमें कई बार मोटापा पकड़ में नहीं आता. इसलिए बेहतर तरीके खोजे जा रहे हैं. अब मोटापे को 2 स्टेज में बांटकर इलाज होगा पहली स्टेज प्रीक्लिनिकल ओबेसिटी है और दूसरी स्टेज क्लिनिकल ओबेसिटी है.
- क्लिनिकल ओबिसिटी: यह एक क्रॉनिक डिजीज है, जिसके कारण शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट के कारण ऑर्गन्स की फंक्शनिंग प्रभावित होने लगती है. रोजाना के कामकाज में मुश्किल होती है. रिसर्चर्स ने इसे पहचानने के लिए बच्चों और एडल्ट्स के लिए अलग-अलग क्राइटेरिया बनाए हैं. इसमें आमतौर पर जोड़ों का दर्द, सांस लेने में परेशानी, हार्ट फेल्योर, और ऑर्गन डिस्फंक्शन जैसे लक्षण दिखते हैं.
- प्रीक्लिनिकल ओबिसिटी: इस डिजीज के कारण अभी तक कोई हेल्थ प्रॉब्लम नहीं हुई है. हालांकि, इसकी वजह से टाइप-2 डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज और कुछ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम बढ़ रहा है. इसके अलावा शरीर में एक्स्ट्रा फैट दिख रहा है. इसमें इस बात की बहुत गुंजाइश होती है कि अगर कुछ सुधार कर लिए जाएं तो गंभीर हेल्थ कंडीशंस का जोखिम टाला जा सकता है.