12 नवंबर की सुबह दिल्ली की हवा बेहद खराब हो गई. AQI.in के मुताबिक, सुबह का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 413 पर दर्ज हुआ, जो 'गंभीर' कैटेगरी है. दिल्ली के वजीरपुर में सबसे ज्यादा 459 AQI रहा. कई दशकों से प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है. यह हाल सिर्फ दिल्ली नहीं, दुनिया के कई देशों की राजधानी का भी है. चीन की राजधानी बीजिंग अब भले स्वच्छ हो, लेकिन एक समय था जब वहां प्रदूषण की वजह से 3 दिन सूरज नहीं दिखा और न्यूयॉर्क में तो करीब 700 लोगों की मौत हो गई थी.
तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि दिल्ली में कितना खतरनाक हुआ प्रदूषण स्तर, GRAP कैटेगरी में क्या-क्या पाबंदी और बीजिंग-न्यूयॉर्क तक पहुंचने में दिल्ली कितनी दूर...
सवाल 1- दिल्ली की हवा कितनी खराब कि हर तरफ हल्ला मचा है?जवाब- AQI.in के मुताबिक, दिल्ली में दोपहर 12 बजे AQI लेवल 402 था. शहर का PM लेवल भी 2.5 तक पहुंच गया है. दिल्ली के वजीरपुर में सबसे ज्यादा 459 AQI रहा. आनंद विहार, चांदनी चौक, बवाना, रोहिणी और ITO समेत ज्यादातर इलाकों में हवा खतरनाक लेवल पर पहुंच गई है. तेजी से बढ़ते प्रदूषण की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली-NCR में GRAP-3 लागू कर दिया है. यानी कक्षा-5 तक के छात्रों के लिए स्कूल बंद कर दिए, यानी अब वह डाइब्रिड क्लास (ऑनलाइन क्लास) लेंगे. कंस्ट्रक्शन के कामों पर रोक लगा दी गई. इसके अलावा BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल चार-पहिया वाहनों को बैन कर दिया गया. BS-4 डीजल इंजन वाले मध्यम और भारी लोडिंग वाहनों की भी एंट्री बैन कर दी गई है.
सवाल 2- GRAP स्टेज क्या होता है और इसके नियम क्या हैं?जवाब- हवा में प्रदूषण की जांच करने के लिए इसे 4 स्टेज में बांटा गया है. हर स्टेज के लिए पैमाने और उपाय तय हैं. इसे ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) कहते हैं, जिसकी 4 कैटेगरी के तहत सरकार पाबंदियां लगाती है. इसके आधार पर प्रदूषण कम करने के उपाय जारी करती है.
GRAP के 4 स्टेज...
स्टेज I 'खराब' (AQI 201-300)
- सभी तरह के कंस्ट्रक्शन मटेरियल को ढक कर रखना होगा और सड़कों पर पानी का छिड़काव.
- शहर के प्रमुख चौराहों पर एंटी स्मोग गन का इस्तेमाल होगा.
- ओपन एरिया में किसी तरह का कूड़ा वगैरह नहीं जलेगा.
- सड़कों पर जाम को कंट्रोल किया जाएगा.
- प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर जुर्माना.
- होटल-रेस्टोरेंट में तंदूर पर प्रतिबंध.
- सड़कों पर 10 से ज्यादा डीजल और 15 से ज्यादा पेट्रोल वाहनों पर रोक.
स्टेज II 'बहुत खराब' (AQI 301-400)
- होटल-रेस्टोरेंट में लकड़-कोयला जलाने पर रोक.
- पेट्रोल-डीजल की पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध और पब्लिक व्हीकल से चलने की एडवाइजरी.
- बच्चों की सेहत को देखते हुए स्कूल-कॉलेज बंद किए जा सकते हैं.
स्टेज III 'गंभीर' (AQI 401-450)
- बोरिंग, ड्रिलिंग और तोड़फोड़ समेत सभी तरह की खुदाई के काम नहीं होंगे.
- वेल्डिंग और गैस कटिंग से जुड़े बड़े काम बंद रहेंगे. वॉटर प्रूफिंग बंद रहेगी.
- सीमेंट, राख, ईंट, रेत और टूटे पत्थर आदि धूल पैदा करने वाले सामान की लोडिंग-अनलोडिंग नहीं हो सकेगी.
- BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल गाड़ियों की आवाजाही पर रोक रहेगी.
स्टेज IV 'गंभीर+' (AQI >450)
- ट्रकों की एंट्री बैन. सिर्फ CNG, इलेक्ट्रिक और BS-4 डीजल ट्रकों की एंट्री हो सकेगी.
- दिल्ली के बाहर से आने वाली गाड़ियों की एंट्री नहीं होगी.
- राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, बिजली, पाइपलाइन, दूरसंचार जैसे प्रोजेक्ट्स, कंस्ट्रक्शन और डेवलपमेंट कार्यों पर रोक.
- राज्य सरकार छठी से 9वीं और 11वीं के लिए ऑनलाइन क्लासेस चला सकती है.
- केंद्र सरकार अपने दफ्तरों में कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दे सकती है.
- NCR राज्य सरकारें सार्वजनिक, निगम और निजी दफ्तरों में 50 फीसदी क्षमता के साथ घरों से काम करने की छूट दे सकती है.
वहीं, हवा को प्रदूषित करने में पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 और PM 10 जिम्मेदार होते हैं. यही इंसानी शरीर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. 2.5 माइक्रोन या इससे कम साइज के पार्टिकल्स को PM 2.5 कहते हैं. 2.5 से 10 माइक्रोन साइज वाले पार्टिकल्स PM 10 कहलाते हैं. यह इतने छोटे होते हैं, जो हमारे शरीर में मौजूद एल्वियोलर बैरियर पार करके फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं. इसके बाद यह ब्लडस्ट्रीम में शामिल होकर पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं.
सवाल 4- क्या चीन और अमेरिका जैसे ताकतवर देशों में भी प्रदूषण के हाल भारत जैसे हैं?जवाब- IQAir.com के मुताबिक, 12 नवंबर को दोपहर 12 बजे चीन की राजधानी बीजिंग का AQI लेवल 94 था. जबकि न्यूयॉर्क जैसे महानगर का AQI लेवल 23 था. यानी बीजिंग के मुकाबले दिल्ली 4 गुना और न्यूयॉर्क के मुकाबले 18 गुना ज्यादा प्रदूषित है. लेकिन 10 साल पहले यह अंतर कम नहीं था. 2013 तक बीजिंग की गिनती दुनिया के टॉप-5 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में होती थी. वहीं, 1950 से 1970 के दशक में न्यूयॉर्क इतना ज्यादा प्रदूषित था कि दो बार 'स्मॉग इमरजेंसी' घोषित की गई थी.
1. बीजिंग में 3 दिन तक सूरज नहीं दिखा
- न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट 'Beijing’s Bad Air Days, Finally Counted' के मुताबिक, 12 जनवरी 2013 से 14 जनवरी 2013 तक बीजिंग में 'एयरपोकैलिप्स' नाम का स्मॉग छाया रहा था, जो बीजिंग का सबसे बुरा दौर था. बीजिंग का AQI 755 से ऊपर था, यानी यह खतरनाक से परे हो चुका था.
- हवा में धूल, धूआं और जहरीले कण इतने ज्यादा थे कि सांस लेना भी मुश्किल था. लोग मास्क पहनकर बाहर निकले, लेकिन कोरोना से बचाने वाले N95 मास्क भी कम पड़ गए. अस्पतालों में सांस की बीमारियां 30% बढ़ गईं.
- Tsinghua University और Chinese Academy of Sciences की 2015 रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2013 के स्मॉग से बीजिंग में अकेले 2,500 से 3,000 मौतें हुईं थीं. वहीं, पूरे उत्तरी चीन में 7,000-10,000 हजार मौतें हुईं थीं.
- 2013 के उस दौर के भयानक मंजर का अंदाजा इस बात से लगा लीजिए कि प्रदूषण की वजह से 3 दिन तक सूरज नहीं निकला था.
- इसके बाद चीनी सरकार ने 'वॉर ऑन पॉल्यूशन' घोषित किया. 2013-2017 तक बीजिंग में कोयला बंद कर दिया गया था. 300 से ज्यादा प्रदूषित फैक्ट्रियों को शहर से निकाल दिया. गाड़ियों के लिए ऑड-ईवन नियम लागू किया और करीब 10 लाख पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप कर दिया. 1 हजार से ज्यादा रियल टाइम मॉनिटर लगाए. 2013 से 2023 तक 1 लाख हेक्टेयर में जंगल लगा दिया. नतीजतन, 2023 तक प्रदूषण में 64% कमी आ गई. बीजिंग फिर से सांस लेने लगा.
2. न्यूयॉर्क में किलर स्मॉग से करीब 700 मौतें हुईं
- NYC डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ की 1953 और 1957 की रिपोर्ट के मुताबिक, 18-22 नवंबर 1952 के बीच न्यूयॉर्क में 'किलर स्मॉग' बना था, जिसकी वजह कोयला और फैक्ट्री का धुआं बना. AQI लेवल 500 से ऊपर पहुंच गया था. अमेरिकन जरनल ऑफ पब्लिक हेल्थ के मुताबिक, इन 4 दिनों में 400-700 लोगों की मौत हुई थी.
- इसके बाद 1866 में न्यूयॉर्क फिर से स्मॉग सिटी बन गया. AQI 500 से ऊपर पहुंचा और 168 मौतें हुईं. प्रदूषण इतना ज्यादा था कि लोग अपने घरों में भी सांस नहीं ले पा रहे थे. न्यूयॉर्क में फेफड़ों का कैंसर 300% तक और बच्चों में अस्थमा 5 गुना तक बढ़ गया था.
- चौंकाने वाली बात यह है कि 1952 में स्मॉग इतना गाढ़ा था कि लोग 10 फीट दूर भी नहीं देख पाते थे. एम्पायर स्टेट ब्लिडिंग स्मॉग में गायब हो गई थी.
- फिर 1970 में अमेरिकी सरकार ने 'क्लीन एयर एक्ट' पास किया और एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी बनी. 1970-1980 तक 90% कोयले का इस्तेमाल बंद कर दिया. 1975 में जहरीला धुआं देने वाली 70% गाड़ियां कम कर दीं. मेट्रो नेटवर्क को बढ़ाया, जिससे रोजाना करीब 60 लाख लोग प्राइवेट गाड़ियों की जगह मेट्रो से सफर करने लगे. हरित नीति के तहत 2007-2015 तक 10 लाख पेड़ लगाए. नतीजतन, AQI 90% तक कम हो गया. अब न्यूयॉर्क की हवा बहुत अच्छी है.
सवाल 5- बीजिंग और न्यूयॉर्क जैसा स्वच्छ शहर बनने में दिल्ली कितनी दूर है?जवाब- दिल्ली आज भी प्रदूषित शहरों में शुमार है, लेकिन बीजिंग और न्यूयॉर्क की तरह साफ हवा हासिल करने की दूरी तय करना संभव है. दिल्ली का वायु प्रदूषण मुख्य रूप से PM 2.5 और PM 10 से आता है, जो वाहनों (51%), पराली जलाने (25% सर्दियों में), निर्माण कार्यों की धूल (20%) और फैक्ट्रियों से निकलता है. बीजिंग और न्यूयॉर्क ने प्रदूषण से लड़ाई में राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी निवेश और क्षेत्रीय सहयोग दिखाया, जो दिल्ली में अभी सीमित है.
CPCB के मुताबिक, 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शुरू हुआ, जिसमें 131 'नॉन-अटेनमेंट' शहरों में PM10 को 40% तक कम करने का टारगेट रखा, सिर्फ 14% कमी हुई. दिल्ली में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया. दिल्ली ने NCAP के 38.21 करोड़ रुपए में से सिर्फ 28% (10.77 करोड़) खर्च किया. अभी दिल्ली में मॉनिटरिंग के लिए 37 स्टेशन हैं, लेकिन क्षेत्रीय स्तर (NCR) लेवल पर स्टेशन की कमी है.
सीनियर एन्वॉयरमेंटलिस्ट डॉ. सुभाष चंद्र पांडे कहते हैं, 'अगर NCAP को मजबूत किया जाए, तो 2030 तक बीजिंग तक पहुंच सकती है, लेकिन न्यूयॉर्क तक पहुंचने के लिए 2040 तक मेहनत और इंतजार करना होगा. अगर फंडिंग दोगुनी हो, तो 2030 तक PM10 को 40% कम करने का टारगेट अचीव किया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए पराली जलाना 100% तक रोकना होगा और इलेक्ट्रिक वाहनों को 50% तक बढ़ाना होगा. जिस तरह बीजिंग और न्यूयॉर्क ने कोयला 90% तक कम किया, 300 से ज्यादा प्रदूषित फैक्ट्रियां हटाईं और 1 हजार से ज्यादा मॉनिटर लगाए, वैसा ही दिल्ली-NCR लेवल पर होना चाहिए.'
डॉ. सुभाष चंद्र पांडे आगे कहते हैं, 'दिल्ली में हर साल 5% आबादी बढ़ती है, लेकिन इसको बैलेंस करने के लिए 5% ग्रीनरी नहीं बढ़ाई जाती है. यह बहुत अहम मुद्दा है और दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने की बड़ी वजह है. इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है, इसलिए दिल्ली सरकार को हरियाली बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए. एयर पॉल्युशन धूल और धुएं से बढ़ता है. इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनाने चाहिए, ताकि कड़ाई से पालन हो. दिल्ली का प्रदूषण तब तक खत्म नहीं हो सकता है, जब तक सरकार खुद कोशिशें नहीं करेगी.'