नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद उजागर हुए काले कुबेरों के सबसे बड़े जाल पर शिकंजा मजबूत होता जा रहा है. पूछाताछ और जांच के बाद जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह बेहद चौंकाने वाले हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत के सामने बड़ा खुलासा किया है.
कोलकाता का उद्योगपति पारस मल लोढ़ा हवाला के अपराध में लिप्त
प्रवर्तन निदेशालय ने यहां की एक अदालत में कहा कि कोलकाता का उद्योगपति पारस मल लोढ़ा हवाला के अपराध में लिप्त था. जिसने सरकार के नोटबंदी नीति को ‘नुकसान’ पहुंचाया और देश की वित्तीय स्थिति को ‘गंभीर खतरा’ उत्पन्न किया.
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नये नोट से बदलने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था
प्रवर्तन निदेशालय ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर के त्रिपाठी के समक्ष दायर एक लिखित प्रतिवेदन में लोढ़ा की जमानत अर्जी खारिज करने की मांग की. लोढ़ा को गत 21 दिसम्बर 2016 को 25 करोड़ रूपये से अधिक के पुराने नोट कथित तौर पर नये नोट से बदलने के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था.
11 जनवरी को दलीलें पूरी करने के लिए अंतिम मौका दिया
अदालत जमानत अर्जी पर आज सुनवायी नहीं कर पायी क्योंकि आरोपी के वकील मौजूद नहीं थे. अदालत ने लोढ़ा को 11 जनवरी को दलीलें पूरी करने के लिए अंतिम मौका दिया. न्यायाधीश ने कहा, ‘वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन जिन्हें आरोपी की अर्जी पर दलील देनी थी वह मौजूद नहीं थे, इसलिए आरोपी की ओर से अनुरोध किया गया है कि आज मामले की सुनवायी स्थगित कर दी जाए.’
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निस्तारण के लिए 11 जनवरी को सूचीबद्ध किया जाए
न्यायाधीश ने कहा, ‘आरोपी की ओर से जैसा अनुरोध किया गया है, मामले को स्थगित किया जाता है. जमानत अर्जी को जिरह और निस्तारण के लिए 11 जनवरी को सूचीबद्ध किया जाए. आरोपी को दलीलें पूरी करने के लिए आखिरी और अंतिम मौका दिया जाता है.’
भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय हवाला आपरेटर शामिल हैं
प्रवर्तन निदेशालय के वकील विकास गर्ग ने कहा, ‘जांच में यह बात सामने आयी है कि आरोपी व्यक्ति के अलावा अन्य जिनमें भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय हवाला आपरेटर शामिल हैं, धनशोधन अपराध में लिप्त थे. ऐसा करके वे सरकार की नोटबंदी नीति को नुकसान पहुंचा रहे थे.’
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आर्थिक अपराधों को काफी गंभीरता से देखा जाना चाहिए
उन्होंने कहा, ‘गहरे षड्यंत्र और हवाला लेनदेन राशि की संलिप्तता वाले आर्थिक अपराधों को काफी गंभीरता से देखा जाना चाहिए. इसे कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाला तथा इस तरह से देश की वित्तीय स्थिति को गंभीर खतरा उत्पन्न करने वाला एक गंभीर अपराध माना जाना चाहिए.’
रिहा किया गया तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है
उन्होंने आगे कहा कि यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया गया तो वह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है. गवाहों को धमका सकता है जिससे धनशोधन रोकथाम कानून के तहत चल रही जांच प्रतिकूल रूप से प्रभावित हो सकती है. अदालत ने गत दो जनवरी को लोढ़ा, सहआरोपी वकील रोहित टंडन और कोटक महिंद्रा बैंक प्रबंधक अशीष कुमार को 16 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.
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