कोलकाता: कोरोना खतरे के बीच भी बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनातनी का माहौल है. कोरोना के खिलाफ जंग में ममता बनर्जी पर लगातार केंद्र सरकार का सहयोग नहीं करने के आरोप लगाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में केंद्र सरकार की दो टीम बंगाल पहुंची. उस टीम ने अब दार्जिलिंग में पुलिस कमिश्नर से मुलाकात नहीं कराने का आरोप लगाया है. इसके अलावा केंद्रीय टीम ने राज्य में कोरोना से निपटने के लिए तैयारियों पर ममता सरकार से कुल 37 सवाल पूछे हैं. इन सवालों में बंगाल सरकार से कोरोना केस और मौत के आंकड़ों पर भी सवाल पूछ गए हैं. केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार को एक चिट्ठी सौंपी है, जिसमें 37 सवाल पूछे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर बंगाल सरकार इन 37 सवालों के जवाब दे देती है, तो राज्य सरकार की पूरी पोल खुल जाएगी. ये सवाल कुछ इस तरह हैं- लॉकडाउन का आप किस तरह पालन करा रहे हैं? इस दौरान कितने लोगों का चालान हुआ है? सीलिंग इलाकों से कितने लोगों को बाहर जाने की अनुमति दी गई? स्वास्थ्य कर्मियों पर अटैक के कितने केस सामने आए, उनपर क्या एक्शन लिया गया? अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए कितने बैड हैं? गरीब लोगों के लिए क्या व्यवस्था की गई? पिछले हफ्ते बंगाल के मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से पूरा सहयोग करने की बात कही थी. लेकिन जिस तरह से केंद्रीय टीमें पत्र लिखकर राज्य सरकार से सवाल पूछ रही हैं, उससे लगता है ममता सरकार की ओर से सहयोग नहीं किया जा रहा है. टीम ने मौतों का पता लगाने वाली कार्यप्रणाली पर भी मांगा था स्पष्टीकरण इससे पहले केंद्रीय टीम ने बंगाल सरकार से कोरोना से होने वाली मौतों का पता लगाने वाली कार्यप्रणाली पर स्पष्टीकरण मांगा था. पश्चिम बंगाल प्रशासन ने केंद्र की टीम से कहा था कि यदि किसी कोरोना पेशेंट की मौत रोड एक्सीडेंट से होती है तो मौत की कैटेगरी में रोड एक्सीडेंट दिखाया जाता है. केंद्रीय टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार की इस राय से असहमति जाहिर की और पत्र लिखकर उनसे कुछ और स्पष्टीकरण मांगे हैं. केंद्रीय टीम ने बंगाल सरकार से पूछा कि कोविड-19 पेशेंट की मौत अगर किसी अन्य कारण से होती है तो उसके लिए क्या डॉक्टरों का कोई पैनल बनाया गया है? ऐसी सभी पेशेंट का रिकॉर्ड मुहैया करवाया जाए जो कोविड-19 थे लेकिन उनकी मौत किसी अन्य कारण की वजह से हुई है.