कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी में नई जान फूंकने के लिए दक्षिण दिशा से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत कर चुके हैं. मगर, उत्तर भारत में कांग्रेस बिखर रही है. राजस्थान में हुए ताजा सियासी संकट से पार्टी को भारी नुकसान तो हुआ ही है साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आलाकमान या यूं कहें कि गांधी परिवार को सीधे चुनौती दे डाली है. पिछले दो दिनों में जो जयपुर में हुआ उससे सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कांग्रेस में गांधी परिवार का दबदबा कमजोर हो गया है?
राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं. दिल्ली में अध्यक्ष सोनिया गांधी राजस्थान के संकट से निपट रही हैं. सोनिया गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी, आनंद शर्मा और अजय माकन जैसे नेताओं को राजस्थान के मामले को सुलझाने के लिए जिम्मेदारी दी है.
टीम राहुल कहां है?ऐसे में सवाल उठता है कि यूपीए-2 के समय जिस 'टीम राहुल' की बात की जाती थी वो टीम आज कहां है? राहुल गांधी की टीम में फिलहाल चर्चा के केंद्र बने सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह शामिल थे. माना जाता था कि यही टीम राहुल आने वाले समय में कांग्रेस का भविष्य होगी. लेकिन सिंधिया और आरपीएन सिंह और जितिन प्रसाद अब बीजेपी में हैं. सचिन पायलट भी एक बार बगावत का झंडा उठा चुके हैं और अबकी बार उनका सीएम बनना तय माना जा रहा था तो अशोक गहलोत ने रोड़ा अटका दिया है.
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में पार्टी और सरकार दोनों संकट में है. इस घड़ी में कांग्रेस के बुजुर्ग और पुराने नेताओं पर ही सोनिया गांधी को भरोसा करना पड़ा. केरल से पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटोनी को बुलाना पड़ा जो दिल्ली वाला बंगला खाली करके ये मानकर चले गए थे कि उनके रिटायरमेंट का वक्त आ चुका है.
इसी तरह जी-23 के नाराज में नेताओं में शामिल आनंद शर्मा जो कि हाल ही में हिमाचल प्रदेश चुनाव समिति से इस्तीफा देकर अपना गुस्सा जता चुके हैं उनको भी राजस्थान में मामला संभालने के लिए बोला गया. इसके अलावा बीते एक-दो सालों से खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे दिग्विजय सिंह भी सामने आए. मध्य प्रदेश से ही कमलनाथ को भी दिल्ली बुलाया गया.
दूसरी ओर टीम में राहुल शामिल मिलिंद देवड़ा कई सालों से पार्टी की किसी भी गतिविधियों में शामिल होते नहीं दिखाई दिए हैं. हालांकि ये दूसरी बात है कि देवड़ा के पास अभी पार्टी में कोई पद नहीं है. सचिन पायलट राजस्थान में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर तब से ही नाराज चल रहे हैं. लेकिन अब पिछले दो दिनों में घर की लड़ाई को पूरा देश देख रहा है. दरअसल राजस्थान में जो कुछ भी हो रहा है उसके पीछे कहीं न कहीं सचिन पायलट की महत्वाकांक्षा भी है.
राहुल के कहने पर बने केंद्र में मंत्रीयह बात भी किसी से छिपी नहीं है कि यूपीए के 2009 में दोबारा से सत्ता में वापसी करने के बाद राहुल गांधी के कहने पर ही टीम राहुल यानी कि सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह को मनमोहन सिंह की सरकार में बहुत कम उम्र में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था.
जब तक कांग्रेस सत्ता में रही ये सभी नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के करीब रहे लेकिन कांग्रेस की सत्ता में वापसी की कम उम्मीद को देखते हुए ज्यादातर नेता बीजेपी से शामिल हो गए.
टीम राहुल के ये नेता न सिर्फ बीजेपी में गए बल्कि चुनावों में अच्छा-खास नुकसान पहुंचाया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्य प्रदेश में चल रही कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को गिराकर बीजेपी में शामिल हुए और दोबारा शिवराज सरकार भी बनवाई.
वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन प्रसाद बीजेपी में शामिल हुए और यूपी सरकार में मंत्री बनाए गए. जबकि आरपीएन सिंह ने हाल ही में बीजेपी का हाथ थामा है.
ये आज भी मजबूती से पार्टी के साथ खड़ेमगर, कांग्रेस के पुराने नेताओं में कुछ ऐसे हैं जो अभी भी पार्टी का मजबूती के साथ खड़े हुए हैं. कांग्रेस में अगला अध्यक्ष कौन होगा. दिग्विजय सिंह भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिला रहे हैं. अम्बिका सोनी, शक्ति सिंह गोहिल, राजीव शुक्ला, जयराम रमेश, मुकुल वासनिक, पी चिदंबरम जैसे वरिष्ठ नेता पार्टी का साथ दे रहे हैं. मधुसूदन मिस्त्री को अध्यक्ष पद का चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई है.
हालांकि किसी भी राजनीतिक पार्टी में नेताओं के लिए दो मुख्य बिंदु होते हैं, जिसमें दल की विचारधारा और सत्ता तक पहुंचने की प्रबल संभावना. इस समय कांग्रेस को पास सत्ता नहीं है और 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दमदार प्रदर्शन करेगी इस पर भी कई तरह के सवाल हैं.
कांग्रेस में अगला अध्यक्ष कौन होगा, इसे लेकर अब तक कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. साथ ही ये सस्पेंस बरकरार है कि अशोक गहलोत अध्यक्ष की रेस में बने हैं या फिर नहीं.