Thamma Review: अलग तरह की दिवाली एंटरटेनर है इंसान और बेताल की ये कहानी
थामा आपको शुरू से बांधे रखती है. फिल्म में आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना ने शानदार काम किया है. आइए जानते हैं कैसी बन पड़ी है ये फिल्म.
Aditya Sarpotdar
Ayushmann Khurrana, Rashmika Mandanna, Paresh Rawal
दिवाली मतलब धमाल और फिल्मों की बिना धमाल कैसा, आप भी अगर पूरी फैमिली के साथ एक मजेदार एंटरटेनिंग फिल्म देखना चाहते हैं तो थामा देख लीजिए. इसमें आपको कॉमेडी, हॉरर, एंटरटेनमेंट सब मिलेगा. एक अलग तरह के आयुष्मान दिखेंगे और 2 केमियो हैं जो बढ़िया हैं.
कहानी
आलोक यानी आयुष्मान खुराना एक जर्नलिस्ट है, वो जंगल में घूमने जाता है और वहां उसपर एक भालू हमला करता है. उसे ताड़का यानी रश्मिका मंदाना बचाती हैं. फिर क्यों उन्हें इंसानों की दुनिया में आना पड़ता है. लेकिन कौन है थामा. आयुष्मान कैसे और क्यों बदल बेताल बन जाते हैं. आगे क्या होगा. ये देखने थियेटर चले जाइए.
कैसी है फिल्म?
ये एक अलग तरह की फिल्म है. रेगुलर टाइप बॉलीवुड फिल्मों से बोर हो गए हैं तो ये आपको अच्छी लगेगी. हॉरर आए कॉमेडी दोनों को मिक्स किया गया है. फिल्म आपको शुरू से बांध लेती है. फर्स्ट हाफ थोड़ा और फास्ट हो सकता था लेकिन इंटरवल हाई प्वॉइंट पर होता है. सेकेंड हाफ में मजा आ जाता है. केमियो मजेदार लगते हैं. गाने फिल्म की पेस पर सूट करते हैं. वीएफएक्स और बेहतर हो सकते थे. गाने अच्छे हैं और फिल्म की पेस पर सूट करते हैं.
View this post on Instagram
रश्मिका ने जिस तरह के कपड़े पहने हैं वो जस्टिफाई लगते हैं. ये कोई मास्टरपीस नहीं है, एक अच्छी एंटरटेनिंग फिल्म है जो आप फैमिली के साथ देखकर एंजॉय करेंगे. ट्रेलर उतना बढ़िया नहीं था लेकिन फिल्म अच्छी है. कुल मिलाकर ये फिल्म एक अलग तरह की है. इसे शायद हॉरर कॉमेडी कहना भी सही नहीं होगा. ये अपनी तरह का अलग जॉनर है और आपको ये देखना चाहिए. क्योंकि अक्सर शिकायत रहती है कि कुछ नया नहीं होता. मैडॉक ने अब कुछ नया किया है और इसके लिए उनकी तारीफ बनती है.
एक्टिंग
आयुष्मान खुराना ने बहुत बढ़िया काम किया है. उन्हें अब तक हमने ज्यादातर ऐसे रोल किए हैं जिनमें सोसाइटी के लिए कोई मैसेज होता है लेकिन यहां वो फुल ऑन एंटरटेनिंग मोड में है. ये उनका अब तक का सबसे बढ़िया किरदार है. रश्मिका मंदाना का काम अच्छा है. वो बेताल के किरदार में हैं और ये उनके लिए भी अलग तरह का किरदार है. नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी का ने बढ़िया काम किया है लेकिन उनका स्क्रीन स्पेस कम है. परेश रावल की कॉमिक टाइमिंग अच्छी है. पंचायत के प्रहलाद चा फैसल मालिक को देखकर मजा आता है. वो एक दम अलग रोल में हैं. सत्यराज ने एक सीन में अच्छा काम किया है. आयुष्मान की मां के रोल में गीता अग्रवाल ने काफी अच्छा काम किया है.
राइटिंग और डायरेक्शन
निरेन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और Arun Falara ने फिल्म लिखी है. आदित्य सरपोतदार ने डायरेक्ट किया है. फर्स्ट हाफ की राइटिंग और बेहतर हो सकती थी लेकिन सेकेंड हाफ में मामला बैलेंस कर दिया गया है. डायरेक्शन बढ़िया है.
कुल मिलाकर ये फिल्म देखिए, मजा आएगा.
रेटिंग- 3.5 स्टार्स
टॉप हेडलाइंस
































