First Copy Web Series Review: इंसान की जिंदगी ना एकदम सीख कबाब के माफिक है, जब तक वो सरिया अंदर घुसता नहीं है ना, बात समझ में नहीं आती. इस एक लाइन ने आपको काफी कुछ समझाया होगा, ये सीरीज भी यही करती है. इस सीरीज का एक डायलॉग है कि इंडस्ट्री में सबसे बड़ा फाइटर राइटर ही होता है और हीरो का जिम ट्रेनर पिक्चर के राइटर से ज्यादा कमाता है.

ये सीरीज आपको हर थोड़ी देर में कुछ ऐसा बताती है कि आप सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि यार बात तो यही कह रहे हैं. ये सीरीज अमेजन एमएक्स प्लेयर पर आई है और एक अच्छी सीरीज है. 25 से 30 मिनट के 10 एपिसोड आपको एंटरटेन करने के साथ ही काफी कुछ सिखाकर जाते हैं.

कहानी

ये कहानी है आरिफ नाम एक एक लड़के की जिसकी शादी हो चुकी है लेकिन वो कोई काम धंधा नहीं करता. एक छोटे से क्राइम के चक्कर में जेल चला जाता है और जब वापस आता है तो फिल्मों का पायरेसी का धंधा शुरू करता है. सीडी पर पायरेटिड फिल्में बेचता है. अब वो ये कैसे करता है. कौन कौन उसका साथ देता है. इस काम में क्या दिक्कतें आती हैं. इसके लिए आपको ये सीरीज देखनी पड़ेगी. इसकी कहानी सिंपल है लेकिन ये कहानी आपसे काफी कुछ कहती है. जिंदगी के बारे में फिल्म इंडस्ट्री के बारे में और कुछ ऐसी चीजों के बारे में जो आपको ये सीरीज देखकर ही समझ आएंगी.

कैसी है सीरीज?

ये सीरीज बढ़िया है. इसकी राइटिंग शानदार है. कई डायलॉग आपको टच करते हैं. मजेदार लगते हैं. वॉकमैन बेच रहा आरिफ एक कस्टमर को देखकर कहता है कि जेब में 50 रुपये नहीं है और चाहता है कि किशोर कुमार इनके कान में आकर गाना सुनाकर जाए. आरिफ की पत्नी एक बड़ी बिल्डिंग को देखकर कहती है कि इन लोगों को टेंशन के नाम पर बस ये सोचना पड़ता होगा कि कुत्ते के बाल कहां से कटवाने हैं.

एक जगह आरिफ कहते हैं- ये सेकंड हैंड कंप्यूटर है. मोहम्मद रफी जैसी आवाज थोड़ा निकलेगी. एक जगह एक हीरोइन मुनव्वर के साथ आगे बैठ जाती है और कहती है कि मैं कभी आगे नहीं बैठती तो इसपर वो कहते हैं. आगे या पीछे कहीं भी बैठने का, बस आगे बढ़ते रहने का. इस तरह के कई डायलॉग इस सीरीज में आते हैं जो आपको एंटरटेन भी करते हैं. समझाते भी हैं और सिखाते भी हैं. ये सीरीज शुरू से मुद्दे पर आ जाती है और अच्छी पेस पर चलती है.

आप कहीं बोर नहीं होते, सारे किरदार अपना काम बखूबी करते हैं. हर किरदार की अहमियत है और हर किरदार अच्छे से लिखा गया है. आपको ये सीरीज देखकर फिल्म इंडस्ट्री के कुछ कड़वे सच भी पता चलते हैं. कुल मिलाकर ये सीरीज देखने लायक है और देखी जानी चाहिए. 

एक्टिंग

मुनव्वर फारूकी ने कमाल काम किया है. वो बिल्कुल नेचुरल लगे हैं. ऐसा लगा कि वो नेचुरल एक्टर हैं और बेकार की कोई कोशिश नहीं कर रहे हैं. इस किरदार में भी वो फिट लगते हैं. मुंबई की गलियों में ही पले बढ़े हैं और ये किरदार भी ऐसा है कि उनपर पूरी तरह से सूट करता है. आशी सिंह ने मुनव्वर की पत्नी आफरीन के किरदार को जिस सिंपल तरीके से निभाया है वो कमाल है. वो अपनी सादगी से आपका दिल जीत लेती हैं.

उनका काम भी काफी नेचुरल है, क्रिस्टल डिसूजा ने हीरोइन के किरदार में बढ़िया काम किया है. उन्होंने दिखाया है कि कैसे करियर का उतार चढ़ाव एक हीरोइन की जिंदगी पर असर डालता है.

साकिब अयूब ने मुनव्वर के दोस्त का किरदार कमाल तरीके से प्ले किया है. उनका स्क्रीन टाइम भी अच्छा है और जिस तरह वो आरिफ का साथ देते हैं और जिस कन्विक्शन से एक्टिंग करते हैं उससे आपको लगता है कि एक ऐसा दोस्त तो हमारा भी होना चाहिए. साणंद वर्मा का भी काफी बढ़िया है, अपनी इमेज से अलग उन्होंने एक अलग किरदार निभाया है. इनामुल हक ने मनी के किरदार में जबरदस्त काम किया है. वो नेचुलर एक्टर हैं और हर किरदार को ऐसे निभाते हैं जैसे उस किरदार के लिए ही बने हैं. यहां भी उन्होंने यही किया है, गुलशन ग्रोवर ने प्रोड्यूसर के किरदार में अच्छे से प्ले किया है. मियांग चैंग ने पुलिसवाले के किरदार में अच्छा काम किया है.

राइटिंग और डायरेक्शन

ये सीरीज खुद कहती है कि राइटर सबसे बड़ा फाइटर होता है और इसकी राइटिंग ही कमाल है. Farhan Zamma और Junaid Khalifa ने सीरीज लिखी है. Farhan Zamma ने डायरेक्ट की है और ये दोनों इस सीरीज के हीरो हैं. राइटिंग बहुत बढ़िया है और डायरेक्शन भी कमाल का है.

कुल मिलाकर ये सीरीज जरूर देखिए

रेटिंग- 3.5 स्टार्स 

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