The Secret Of Devkaali Review: तुम्बाड और कांतारा के फील वाली ये फिल्म कुछ नया करने की कोशिश करती है, कुछ हद तक कामयाब भी होती है
The Secret Of Devkaali Review: नीरज चौहान की द सीक्रेट ऑफ देवकाली आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. ये फिल्म मिस्ट्री थ्रिलर है औरतुम्बाड और कांतारा जैसी फील देती है.
नीरज चौहान
नीरज चौहान, महेश मांजरेकर, प्रशांत नारायणन, भूमिका गुर्रांग
थिएटर
The Secret Of Devkaali Review: इन दिनों सबसे ज्यादा कमी कहानियों की है, कहानियां हैं नहीं, स्टार हैं, सुपरस्टार हैं, बजट है, वीएफएक्स हैं, कॉरपोरेट बुकिंग है लेकिन एक ही चीज की कमी है और वो है कहानी, इस फिल्म की खासियत ये है कि इसमें बाकी सब भले थोड़ा काम हो लेकिन कहानी है, कुछ नया करने की, कुछ नया दिखाने की कोशिश की गई है और ये कोशिश कुछ हद तक कामयाब भी हुई है .
कहानी
इस फिल्म की कहानी ही इसकी ताकत है इसलिए उसके बारे में जितना बताया जाए वो कम है, देवकाली नाम का है गांव है जहां दो सुमदाय के लोग रहते हैं, और एक समुदाय का दबंग नेता दूसरों पर अत्याचार करता है लेकिन ये देवी का गांव है और देवी का एक रहस्य है जिसका पता लगाने में कुछ लोग जुटे हैं, माधव त्यागी के जरिए ये राज खुलता है लेकिन कितना खुलता है, कैसे खुलता है,ये आपको फिल्म देखकर पता चलेगा, और फिल्म के एंड में एक सरप्राइज भी मिलेगा.
कैसी है फिल्म
ये फिल्म आपको तुम्बाड और कांतारा जैसा फील देती है, हालांकि ये तुम्बाड और कांतारा नहीं बन गई लेकिन कोशिश की गई और कोशिश कुछ हद तक कामयाब हुई. कहानी को जमीन से, गांव से जोड़ा गया है, कहानी नई है, किरदार अच्छे हैं लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले बिखरा हुआ है. कहानी को जोड़ने के लिए आपको दिमाग लगाना पड़ता है, ठीक है ये दिमाग के साथ देखने वाली फिल्म है लेकिन दिमाग की दही भी नहीं होनी चाहिए. कुछ कुछ सीन काफी इम्प्रेस करते हैं. सेकेंड हाफ में फिल्म आपको बांधकर रखती है, क्लाइमैक्स अच्छा है, ये फिल्म कम से कम ये बताती है कि कोशिश की जाए तो कुछ अच्छा, कुछ नया बनाया जा सकता है. इस फिल्म में वही घिसी पिटी कहानी नहीं मिलती और यही इस फिल्म को अलग बनाती है. बाकी अगर स्क्रीनप्ले पर और मेहनत की जाती तो ये कांतारा भी बन जाती.
एक्टिंग
नीरज चौहान फिल्म में मेन लीड में हैं और नीरज का काम अच्छा है, खासतौर पर सेकेंड हाफ में वो कमाल कर जाते हैं. फर्स्ट हाफ में वो रेग्लूयर हीरो ही लगते हैं लेकिन सेकेंड हाफ में उन्हें अपना कमाल दिखाने का मौका मिलता है. संजय मिश्रा का काम हमेशा की तरह अच्छा है. प्रशांत नारायणन ने बढ़िया काम किया है. साउथ के पुलिसवाले के किरदार में वो खौफ पैदा करते हैं. महेश मांजरेकर का काम अच्छा है. Bhumika gurrang अच्छी लगी हैं और उनका काम भी अच्छा है.
डायरेक्शन और राइटिंग
नेहा महेंद्र सोनी ने फिल्म को लिखा है और नीरज चौहान ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. राइटिंग और डायरेक्शन ठीक है, हालांकि स्क्रीनप्ले पर और मेहनत की जानी चाहिए थी तो ये और बेहतर फिल्म बनती.
कुल मिलाकर कुछ नया देखना चाहते हैं तो देख सकते हैं
रेटिंग- 3 स्टार्स



























