जॉन अब्राहम की फिल्म वेधा जब आई थी तो प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने उनसे पूछ लिया था कि आप एक जैसी एक्शन फिल्में ही क्यों करते हैं, उस वक्त जॉन नाराज हो गए थे. हालांकि बाद में जॉन ने माफी भी मांगी लेकिन सबसे बड़ा जवाब अपने काम से दिया जाता है और जॉन ने जवाब तेहरान से दिया है. यहां जॉन फुल फॉर्म में हैं, एक्शन, इमोशन, इंटेलिजेंस, सबकुछ, जॉन की फिल्म एक इंटेलिजेंट फिल्म है और जॉन ने टैलेंट के साथ पूरी तरह से इंसाफ करती है.

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कहानी- साल 2012 में इजरायली डिप्लोमेट्स पर अटैक होते हैं. अटैक में फूल बेचने वाली एक छोटी सी बच्ची मारी जाती है. ये अटैक इरान और इजरायल की दुश्मनी की वजह से होते हैं लेकिन होते हैं इंडिया में. जांच सौंपी जाती है एसीपी राजीव कुमार को.

पहले तो इसमें पाकिस्तान का हाथ होने का शक होता है लेकिन धीरे धीरे राज खुलते हैं, लेकिन फिर होती है राजनीति, डिप्लोमैसी और काफी कुछ, और इन हमलों की जांच करने वाला और गुनहगारों को पकड़ने के लिए इरान के तेहरान पहुंचा राजीव कुमार यानि आरके अकेला पड़ा जाता है, फिर क्या होता है, इसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी 

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कैसी है फिल्म- ये एक इंटेलिजेंट फिल्म है. इस फिल्म को समझने के लिए आपको थोड़ा बहुत पढ़ना भी होगा इरान और इजरायल के बारे में. इंडिया से उनके रिश्तों के बारे में, फिल्म दो घंटे की है और कसी हुई है. आपको अपने साथ जोड़कर रखती है और जॉन अब्राहम ये काम बखूबी करते हैं. हालांकि कई जगह आपको स्क्रीनप्ले में कमी लगती है. आपको लगता है चीजों को थोड़ा सा सिंपल तरीके से बताना चाहिए था.

बीच बीच में फारसी भाषा में डायलॉग आते हैं और आपको सबटाइटल देखने पड़ते हैं और ये थोड़ा अखरता है, लेकिन ये फिल्म बेसिरपैर की एक्शन फिल्म नहीं है. यहां एक्शन सीन आता है तो उसका एक मकसद होता है. हीरो किसी को मारता है तो कोई वजह होती है. 

जॉन की ये पहली फिल्म होगी जो ओटीटी पर आई है. शायद मेकर्स को नहीं लगा होगा कि ये थिएटर में चलेगी और बात सही भी है. ये ओटीटी के लिए अच्छी फिल्म है, जी 5 पर आई है , अच्छा सिनेमा देखना चाहते हैं तो आप देख सकते हैं

एक्टिंग- जॉन अब्राहम ने कमाल का काम किया है. ये किरदार उनपर काफी सूट किया है. यहां जॉन सिर्फ एक्शन नहीं करते, और भी बहुत कुछ करते हैं जो आपके दिल को छूता है. ऐसा लगता है कि जॉन इसी तरह के किरदारों के लिए बने हैं. जहां जरूरत है वो मारते हैं और जहां नहीं है वहां हाथ में बंदूक होने के बावजूद दूसरे को दे देते हैं.

नीरू बाजवा ने अच्छा काम किया है. ये एक अलग तरह का किरदार है वो उनपर सूट किया है. मानुषी छिल्लर काफी अच्छी लगी है. एक्शन करते हुए वो कमाल लगती हैं. जॉन की पत्नी के किरदार में मधुरिमा तुली काफी इम्प्रेस करती हैं. दिनकर शर्मा जॉन के साथी बने हैं और काफी उनका काम काफी बढ़िया है, Hadi khanjanpour का काम अच्छा है 

राइटिंग और डायरेक्शन-  फिल्म को रितेश शाह, आशीष वर्मा,  और बिंदनी कारिया ने लिखा है और डायरेक्ट किया है अरुण गोपालन ने. राइटिंग में थोड़ा बेहतर काम किया जा सकता था. चीजों को थोड़ा सिंपल तरीके से बताया जा सकता था, उन लोगों के लिए जो इन मुद्दों के बारे में ज्यादा नहीं जानते, डायरेक्शन अच्छा है.

कुल मिलाकर ये एक अच्छी फिल्म है

रेटिंग- 3 स्टार्स