Khakee The Bengal Chapter Review: खाकी द बिहार चैप्टर के बाद नीरज पांडे ने बंगाल का चैप्टर खोला है, बात जब नीरज पांडे की आती है तो उम्मीद जगती है कि कंटेंट में दम होगा. हालांकि पिछले कुछ वक्त में उनका ब्रांड हल्का पड़ा है लेकिन अच्छा फिल्ममेकर वही है जो लगातार कुछ नया और बेहतर करने की कोशिश करता रहे. यह नीरज पांडे ने वही किया और वो कामयाब भी हुए है. इस सीरीज को आप बिना फास्ट फॉरवर्ड किए देखेंगे और पूरा देखेंगे , आज के रील्स वाले दौर में यही सबसे बड़ी कामयाबी है.
कहानीराजनीति और क्राइम कैसे साथ साथ चलता है, ये कहानी हम बहुत बार देख चुके हैं. यहां भी कहानी यही है, बंगाल का एक नेता बरुण दास अलग अलग क्रिमिनल्स का इस्तेमाल करता है और अपनी राजनीति चलाता है. एक ईमानदार पुलिसवाला अर्जुन मोइत्रा यानि जीत उसे ऐसा करने से रोकने की कोशिश करता है. एक के बाद एक खूब सारे मर्डर होते हैं. कई खुलासे होते हैं, राजनीति होती है, कौन किसको मात देता है इसके लिए आपको नेटफ्लिक्स पर ये सीरीज देखनी पड़ेगी. इस सीरीज के 7 एपिसोड हैं को 50 मिनट से 1 घंटे के बीच हैं.
कैसी है सीरीजये सीरीज अच्छी है, कमाल की परफॉर्मेंस और ट्रीटमेंट के लिए देखी जानी चाहिए. कहानी कोई नई नहीं है, राजनीति और क्राइम का कॉम्बो हम खूब देख चुके हैं. उसे बंगाल में दिखाया गया है और देखते हुए आपको लगता है कि आप बंगाल में हैं. सीरीज आपको बांधकर रखती है, ट्विस्ट अच्छे हैं, एक्शन अच्छा है, हीरोपंती वाले कुछ सीन मजेदार हैं, कुल मिलाकर आपको मजा आता है. नए और फ्रेश चेहरे दिखते हैं, जीत और प्रोसेनजीत बंगाल के बड़े स्टार्स हैं. उन्हें एक हिंदी सीरीज में एक साथ देखकर मजा आता है, रित्विक और आदिल के परफॉर्मेंस सीरीज को अलग लेवल पर ले जाता है. आप एक बार में ये सीरीज देख डालेंगे, इसे एक टिपिकल बॉलीवुड मसाला सीरीज कहा जा सकता है.
एक्टिंगइस सीरीज की जान इसके एक्टर और उनकी कमाल की एक्टिंग है. जीत ने जबरदस्त काम किया है. वो खूब हीरोगिरी दिखाते हैं और वो देखकर मजा आता है. उनकी एक्टिंग में एक मैच्योरिटी दिखती है जो उस किरदार के लिए जरूरी थी. एक सीन में जब वो एक गुस्साई भीड़ को डराकर एक क्रिमिनल को पकड़ लाते हैं तो काफी कन्विंसिंग लगते हैं. उन्हें आप ओटीटी का सिंघम कह सकते हैं, प्रोसेनजीत नेता के किरदार में जबरदस्त लगे हैं, नेगेटिव रोल को उन्होंने कमाल तरीके से निभाया है. रित्विक भूमिक ने बवाल काम किया है. वो इस सीरीज का सरप्राइज हैं, इसके बाद उनकी गिनती ओटीटी के खूंखार विलेंस में होगी. उनका कमाल का काम इस सीरीज की बड़ी हाइलाइट है. आदिल जफर खान ने भी एक दम जबरदस्त परफॉर्मेंस दिया है. जीत और प्रोसेनजीत के होने के बावजूद ये दोनों अलग से निकलकर आए हैं. जीत ने ट्रेलर रिलीज पर कहा था कि सीरीज के बाद आप इन दोनों को बात करेंगे और वो बात बिल्कुल सही है.सास्वता चटर्जी जबरदस्त हैं. उनका रोल और बड़ा होता तो और मजा आता, चित्रांगदा सिंह ठीक हैं.
डायरेक्शनदेबात्मा मंडल और तुषार कांति रे ने सीरीज को अच्छे से डायरेक्ट किया है. नीरज पांडे, Debatma mandal और samrat chakroborty ने इसे लिखा है. हर किरदार को अच्छे से दिखाया गया है. सबको पूरा मौका दिया गया है. क्राइम और पॉलिटिक्स जैसे घिसे हुए सब्जेक्ट को दिलचस्प बनाने की पूरी कोशिश की गई है.
कुल मिलाकर ये सीरीज देखिए, मजा आएगा.
रेटिंग -3.5 stars