अच्छे एक्टर की खासियत ये होती है कि वो एक एवरेज या वन टाइम वॉच फिल्म में भी जान डाल देता है. यही काम शहनाज गिल ने फिल्म इक कुड़ी में किया है. शहनाज गिल की ये पंजाबी फिल्म उनके लिए देखी जा सकती है. शहनाज ने इस फिल्म में कमाल का काम किया है और उनके फैंस ये फिल्म देखकर काफी खुश होंगे क्योंकि इस फिल्म में उन्हें शहनाज ही शहनाज दिखेंगी लेकिन सिर्फ फैंडम के सहारे तो बड़े बड़े सुपरस्टार्स की फिल्में नहीं चलती आजकल, तो ये फिल्म अगर न्यूट्रल जनता को पसंद आएगी तो ही चलेगी. 

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कहानी

ये कहानी है एक लड़की की जिसे शादी से डर लगता है क्योंकि उसके परिवार में किसी की शादी नहीं चली. उसकी दादी की भी शादी में दिक्कत रही और वो बार बार उससे कहती हैं कि शादी सोच समझकर करना. अब उसकी शादी तय हो जाती है लेकिन उसे जांच पड़ताल करनी है कि लड़का सही है या नहीं, और ये सब कैसे होगा ये आपको इस पंजाबी फिल्म को थिएटर में जाकर देखना होगा.

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कैसी है फिल्म

ये एक वन टाइम वॉच फिल्म है. इसे आप एक एवरेज फिल्म भी कह सकते हैं, फर्स्ट हाफ अच्छा है लेकिन इंटरवल से कुछ देर पहले तक. फर्स्ट हाफ में कई कॉमेडी सीन आते हैं जो आपको हंसाते हैं. फिल्म की पेस बढ़िया है लेकिन इंटरवल से पहले फिल्म स्लो हो जाती है और आप इंतजार करते हैं कि इंटरवल कब होगा. सेकेंड हाफ स्लो है, कहानी में भी नयापन नहीं दिखता. आपको शाहरुख खान की एक फिल्म की भी याद आती है, लेकिन इस फिल्म को शहनाज गिल अपनी एक्टिंग से उठा देती हैं, उनके लिए आप ये फिल्म देख जाते हैं. उनकी जगह अगर फिल्म में कोई और होता तो ये फिल्म नहीं झेली जाती. 

एक्टिंग

शहनाज गिल ने कमाल का काम किया है. वो हर इमोशन को शानदार अंदाज में दिखा गई हैं. चाहे इमोशनल सीन हों, कॉमेडी हो या फिर, अपने मंगेतर के साथ वाले सीन. यहां आपको वो चुलबुली शहनाज नहीं दिखती जो अक्सर नजर आती हैं. यहां वो एक मैच्चोर लड़की के किरदार में दिखती हैं. शहनाज ने अपनी दादी के जवानी का किरदार भी निभाया है और उसमें भी वो कमाल लगी हैं. उन्हें देखकर लगता है कि उन्होंने एक्टिंग पर काम किया है. शहनाज के अलावा उनकी दादी का किरदार निभाने वाली निर्मल ऋषि ने कमाल का काम किया है. उनकी कॉमिक टाइमिंग फिल्म में जान डालती है, इसके अलावा ऐसा कोई एक्टर नहीं जिसका किरदार ठीक से लिखा गया हो या उसने कुछ ऐसा कर दिया हो जो आपको याद रहे. 

राइटिंग और डायरेक्शन

अमरजीत सिंह सेरोन ने फिल्म को लिखा है और डायरेक्ट किया है और उनका काम एवरेज है. वो कुछ नया नहीं लिख पाए, कहानी वही पुरानी है जो हम कई बार देख चुके हैं. डायरेक्शन ठीक है, शहनाज गिल का इस्तेमाल कायदे से किया गया है लेकिन जिस चीज पर सबसे ज्यादा काम करने की जरूरत थी वो थी राइटिंग और वो नहीं किया गया.

रेटिंग- 3 स्टार्स