इंग्लिश में कहेंगे तो You are a Murderer, हिंदी में कहेंगे तो हत्यारिन और उर्दू में कहेंगे तो क्या कातिल लग रही हो. इस फिल्म से नसीर साहब की ये आखिरी लाइन जो जादू पैदा करती है वही ये फिल्म भी करती है. कुछ फिल्में सिर्फ फिल्में नहीं होती, एक खूबसूरत एहसास होती है. ये फिल्म वैसी ही है, ये आपके साथ रह जाएगी, इसे ही सिनेमा कहते हैं. ऐसी फिल्में अब बनती नहीं हैं, बनी है तो देख आइए और महसूस कर आइए इस इश्क को जो गजब की गुस्ताखियां करता है.
कहानी
ये कहानी एक प्रिटिंग प्रेस वाले और एक शायर की है. प्रेस वाले को शायर से उसकी शायरी चाहिए लेकिन शायर को तो अपनी शायरी से इश्क है. इश्क तो ये प्रेस वाला भी करता है लेकिन किससे... दोनों का इश्क क्या गुस्ताखियां करता है, ये देखने चले जाइए.
कैसी है फिल्म
ये एक एहसास है, सिनेमा से इश्क है तो ये दिल दिल की गहराइयों में उतर जाएगी. कभी मोहब्बत की है तो ये फिल्म, आपकी जिंदगी की रिवाइंड कर देगी. मनीष मल्होत्रा ने ये फिल्म बनाई है, वो कमाल के डिजाइनर हैं और मनीष के अपनी जिंदगी में जो सबसे खूबसूरत ड्रेस बनाई होगी. उसे जिस करीने से सजाया होगा, संवारा होगा, वैसा ही उन्होंने इस फिल्म के साथ किया. ये फिल्म एक खूबसूरत शायरी जैसी है, जो आपको कुछ न कुछ महसूस करवाती हुई आगे बढ़ती है. ये फिल्म एक खास टारगेट ऑडियंस के लिए है, हो सकता है कुछ लोगों को ये स्लो लगे, समझ न आए और वो इससे रिलेट न भी कर पाएं क्योंकि ये एक मसाला फिल्म नहीं है लेकिन ये जो है उसे ही कमाल का सिनेमा कहते है. कमाल कहानी, कमाल परफॉर्मेंस, कमाल शेरो शायरी , कमाल म्यूजिक और कमाल का एक्स्पीरियंस.
एक्टिंग
नसीरुद्दीन शाह को देखना आपके आप में एक ट्रीट है. उनकी एक्टिंग का तो खैर क्या रिव्यू किया जाएगा, आपको वो शायर ही लगते हैं और जो भी वो 70 mm के पर्दे पर करते हैं उसे ही तो एक्टिंग कहते हैं. विजय वर्मा को शायद ये फिल्म देखने के बाद खुद यकीन न हो कि वो ये किरदार कितने गजब तरीके से निभा गए हैं. अब तक वो ज्यादातर ग्रे शेड किरदारों में दिखे हैं लेकिन यहां वो उस इमेज को बड़े कायदे से तोड़ते हैं और आपके दिल में उतर जाते हैं. फातिमा सना शेख बहुत खूबसूरत लगी हैं और उनकी अदाकारी उससे भी ज्यादा खूबसूरत है. इस किरदार में जो मैच्योरिटी चाहिए थी, फातिमा वो बखूबी लेकर आती हैं. शारिब हाशमी ने फिर दिखाया है कि भले सामने नसीर साहब हों उनकी एक्टिंग की धार कम नहीं होती. शारिब एक अलग रंग लेकर आते हैं और जब आते हैं या तो हंसाते हैं या रुलाते हैं. बाकी के सारे कलाकारों का काम भी उम्दा है.
राइटिंग और डायरेक्शन
विभु पुरी और प्रशांत झा की राइटिंग बहुत कमाल है. कई जगह तो ऐसा लगा जैसे सब कुछ गुलजार साहब ने लिखा है. शेरो शायरी बहुत जबरदस्त और दिल को छू लेने वाली है. विभु पुरी का डायरेक्शन सटीक है, उन्होंने फिल्म की आत्मा को बनाए रखा. मसाले डालकर इसे सड़ा नहीं दिया और इसके लिए उनकी तारीफ करनी होगी.
म्यूजिक
विशाल भारद्वाज का म्यूजिक और गुलजार साहब के बोल ऐसा जादू पैदा करते हैं कि अगर फिल्म में 2- 4 गाने और होते और फिल्म लंबी हो जाती तो और मजा आता. एक एक गाने के एक एक अंतरे और मुखड़े को आप महसूस कर पाते है.
कुल मिलाकर ये फिल्म जरूर देखिए
रेटिंग - 4 stars