देशभक्ति एक ऐसा जज्बा है जो हर हिन्दुस्तानी में कूट कूट कर भरा है. इस इमोशन पर न जाने कितनी फिल्में बनी हैं और कामयाब भी हुई हैं. हमारे वीर जवानों की ऐसे कितनी कहानियां हैं जो हमें नहीं पता और हमें पता नहीं हैं और पता होनी चाहिए. ये भी ऐसे ही कहानी है लेकिन ये फिल्म देखकर लगा कि इन 120 बहादुरों पर एक बेहतर फिल्म बननी चाहिए थी. न फरहान अख्तर मेजर शैतान सिंह भाटी के साथ इंसाफ कर पाए और न ये फिल्म उन महान 120 बहादुरों के साथ.
कहानी
1962 में जब भारत और चीन के बीच जंग हुई थी तो रेजांग ला में हमारे 120 बहादुर 3000 चीनी सैनिकों से भिड़ गए थे. फिर पूरी जंग का रुख बदल गया था, ये कहानी अगर आपको जाननी है तो आप थिएटर जा सकते हैं.
कैसी है फिल्म
फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी खराब है, आप फिल्म से कनेक्ट ही नहीं करते. सेकेंड हाफ में वॉर के सीन अच्छे हैं लेकिन वहां भी वो कनेक्ट नहीं हो पाता जो इस तरफ की फिल्म से होना चाहिए. इस फिल्म की सबसे अच्छी चीज इसकी कहानी है लेकिन कहानी का ट्रीटमेंट काफी एवरेज है. गाने काफी खराब है,ऐसा लगता है बॉर्डर की कॉपी करने की कोशिश की गई है और ये और खराब लगता है. फरहान इस किरदार में सूट नहीं करते, सपोर्टिंग कास्ट ने मामला संभाला है. जबकि उनके किरदारों को एस्टेब्लिश करने का वक्त नहीं दिया गया. एक भी डायलॉग ऐसा नहीं जो रौंगटे खड़े कर दे. बस कुछ सीन हैं जो ठीक लगते हैं , इन बहादुरों के सम्मान में आप ये फिल्म देख सकते हैं.
एक्टिंग
फरहान को ये फिल्म बस प्रोड्यूस करनी चाहिए थी. ये किरदार उनपर सूट नहीं हुआ, वो अच्छे एक्टर हैं लेकिन हर रोल आप नहीं कर सकते. आप फरहान से कनेक्ट नहीं कर पाते, उनमें वो जोधपुर के जवान वाली बात नहीं आती. इस फिल्म में अगर एक्टिंग किसी ने की है तो सपोर्टिंग कास्ट ने. स्पर्श वालिया रेडियो ऑपरेटर बने हैं और उनका काम जबरदस्त है. वो फिल्म को नेरेट भी करते हैं. अंकित सिवाच वो पहले जवान बने हैं जो शहीद होते हैं और यहां आप फिल्म से थोड़ा कनेक्ट करना शुरू करते हैं. उनकी स्ट्रॉन्ग पर्सनैलिटी इस किरदार में जान डाल देती है. राशी खन्ना एक जवान की पत्नी के किरदार को कमाल तरीके से निभा गई हैं. विवान बटेना अच्छे लगे हैं.
राइटिंग और डायरेक्शन
इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी यही है. राजीव मेननकी राइटिंग और सुमित अरोड़ा के डायलॉग्स में कोई दम है ही नहीं. आपको एक डायलॉग याद नहीं रहता. रजनीश घई का डायरेक्शन भी एवरेज ही है. बस वॉर के सीन उन्होंने अच्छे शूट किए हैं.
कुल मिलाकर ये कमजोर फिल्म आप इन बहादुरों की कहानी जानने के लिए देख सकते हैं
रेटिंग - 3 स्टार्स