Ajay Devgn And Amitabh Bachchan Movie Runway Review In Hindi: साउथ की फिल्मों के हल्ले के बीच अजय देवगन (Ajay Devgn) की फिल्म  रनवे 34 (Runway 34) आई  है. इस फिल्म ने बॉलीवुड की इज्जत बचाने का काम किया है. कहानी असली घटना से प्रेरित है. दुबई से कोचिन की फ्लाइट कैसे खराब मौसम की वजह से लैंड नहीं कर पाती. 150 यात्रियों की जान खतरे में है. अब क्या होगा...क्या लैंडिंग हो पाएगी...होगी तो कैसे होगी...क्या सबकी जान बचेगी... और लैडिंग के बाद पायलट को कोर्ट में क्यों घसीटा जाएगा. यही कहानी है रनवे 34 (Runway 34) की. पहले फिल्म का नाम मेडे था. फिर रनवे 34 क्यों हुआ. ये आपको फिल्म देखकर समझ आ जाएगा.


कैसी है फिल्म- फिल्म का फर्स्ट हाफ कमाल का है. हवा में एक्शन होता है और एक एक फ्रेम हिला डालने वाला है. आपको ऐसा लगता है कि आप भी फ्लाइट में हैं और ये जो हो रहा है ये आपके साथ हो रहा है. आपको सीट से हिलने का मौका नहीं मिलता. सेकेंड हाफ में कोर्ट रूम ड्रामा है और वो थोड़ा स्लो है. यही इस फिल्म की इकलौती कमी है. यहां स्क्रीनप्ले थोड़ा कसा हुआ हो सकता था लेकिन अमिताभ (Amitabh Bachchan) अजय (Ajay) रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh) बोमन ईरानी (Boman Irani) यहां मामला संभाल लेते हैं..



एक्टिंग- अजय देवगन की एक्टिंग कमाल है. अजय देवगन ने इस बार सिर्फ आंखों से ही एक्टिंग नहीं की है. बंद आंखों से भी एक्टिंग की है. देखेंगे तो रौंगटे जरूर खड़े होंगे. अजय देवगन पायलट के अवतार में कमाल के लगे हैं. अजय की खामोशी भी कमाल की लगती है. अजय ने यहां वो हीरो वाला अंदाज नहीं दिखाया है जो सबकुछ खटाक से ठीक कर देता है. यहां किरदार की डिमांड के हिसाब से उसे अंडरप्ले किया गया है और यही इस किरदार को जानदार बनाता है. अमिताभ बच्चन सेकेंड हाफ में आते हैं और कमाल की एक्टिंग करते हैं. अमिताभ और अजय के बीच की डायलॉगबाजी जबरदस्त लगती है. को-पायलट के रोल में रकुल प्रीत काफी अच्छी लगती है. रकुल प्रीत ने दिखा दिया कि ग्लैमरस रोल ही नहीं वो परफॉर्मेंस वाले रोल भी अच्छे से कर सकती हैं. एक सीन में अमिताभ उनपर चिल्लाते हैं और जिस तरह से रकुल प्रीत डरती हैं उसे देखकर आपको भी डर लगता है. बोमन ईरानी ने अजय देवगन के बॉस का किरदार निभाया है और कमाल का काम किया है.


डायरेक्शन- अजय देवगन ने ही फिल्म को डायरेक्ट किया है और अजय ने अच्छा काम किया है. एक एक्टर और डायरेक्टर के तौर पर बैलेंस अच्छे से बैठाया है. और यहां अजय को फुल मार्क्स मिलने चाहिए.


क्यो देखें- हम अक्सर कहते हैं कि बॉलीवुड वाले कुछ नया नहीं करते. यहीं कोशिश की गई है...कुछ नया करने  की, ओरिजनल करने की. ये कोशिश अच्छी है. सेकेंड हाफ को थोड़ा छोटा कर दिया जाता है तो फिल्म और अच्छी होती लेकिन ये फिल्म देखी जा सकती है और अगर अच्छा सिनेमा आगे भी देखना चाहते हैं तो ऐसी फिल्मों को सपोर्ट जरूर कीजिए


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