दुनिया की तरक्की के साथ प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या भी बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में हर अभिभावक प्रदूषण के नुकसानदेह प्रभाव से अपने बच्चों की हिफाजत खासकर नवजात के लिए चिंतित है. बेंगुलुरू में डॉक्टर सौम्या का कहना है, "उनका इम्यून सिस्टम, फेफडे़ और दिमाग अभी भी विकसित हो रहे होते हैं और व्यस्कों से ज्यादा तेज सांस लेते हैं, जिससे उनको प्रदूषण का ज्यादा खतरा होता है. प्रदूषण के कारण आपके बच्चे को छींक, खांसी, बहती नाक, आंखों में जलन और स्किन पर चकता का अनुभव हो सकता है.


डॉक्टर के मुताबिक ये लक्षण ज्यादा गंभीर हो सकते हैं अगर आपके नवजात को स्किन की एलर्जी या सांस की तक्लीफ जैसे अस्थमा हो." उन्होंने नवजात शिशु की सुरक्षा के लिए कुछ टिप्स शेयर किए हैं.


धूम्रपान से दूर रहें- पहला और महत्वपूर्ण उपाय आपके घर की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाना है. ऐसा करने के लिए स्मोकिंग को नजरअंदाज करें. स्मोकिंग के कारण गंदी हवा में सांस लेने से नवजात शिशु की सेहत पर गंभीर प्रभाव हो सकता है.


एयर प्यूरीफाइर का इस्तेमाल- धुआं और बैकक्टीरिया को दूर कर हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एयर प्यूरीफाइर जरूरी है. ये नवजात शिशु के जलन को कम करने में भी मदद करता है.


स्तनपान- अपने नवजात की हिफाजत के लिए स्तनपान जरूरी है क्योंकि ये उसकी इम्यूनिटी में बहुत सुधार करता है. स्तनपान करानेवाले बच्चों को स्तनपान नहीं करानेवाले बच्चों के मुकाबले हल्के लक्षण का अनुभव करना पडता है.


स्वच्छता का पालन- सुनिश्चित करें कि नवजात के पास जाने से पहले हर कोई चेहरा और हाथ धोए. स्वच्छता की आदत भी नवजात के लिए मुफीद है. इसलिए, आपको चाहिए कि बच्चों को नहाएं और जब जरूरत हो तो उसका कपड़ा बदलें.


धूल से नवजात की सुरक्षा करें- रूम में जब बच्चा मौजूद हो, तो सफाई और धूल साफ करने से परहेज करें. अगर आप मच्छर मारक का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो ऑर्गेनिक मारक का इस्तेमाल करें क्योंकि केमिकल का छिड़काव बच्चे को परेशान कर सकता है.


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