Creativity During Chores: कुछ सबसे तेज और अहम आइडियाज उन पलों में आते हैं, जहां हम उन्हें आने की बिल्कुल उम्मीद नहीं करते. न किसी बोर्ड मीटिंग में, न किसी प्लानिंग रूम के शोर में, बल्कि कहीं बहुत ही साधारण जगहों पर. गर्म पानी की शावर के नीचे, कपड़े फोल्ड करते हुए, या सिंक में बर्तनों के झाग में हाथ डुबोकर. ब्रिटिश क्वीन ऑफ क्राइम अगाथा क्रिस्टी, जिनकी किताबें दो अरब से ज्यादा बिक चुकी हैं, उसमें वे अक्सर कहा करती थी कि किताब प्लान करने का सबसे अच्छा वक्त है, जब आप बर्तन धो रहे हों और शायद वह किसी साधारण घरेलू अनुभव की नहीं, बल्कि एक गहरे सच की तरफ इशारा कर रही थीं. ऐसा सच जिसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली लोग भी महसूस करते हैं क्योंकि अमीर होने के बावजूद, वे भी अपने बर्तन खुद धोते हैं.

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अरबपति और सिंक 

बिल गेट्स का घर 125 मिलियन डॉलर का है. जेफ बेजोस हर साल एक अरब डॉलर का Amazon स्टॉक बेचते हैं ताकि Blue Origin का फंडिंग चलती रहे. फिर भी, ये दोनों बर्तन धोने का काम किसी और किसी को नहीं देते. बेजोस कहते हैं कि “मैं हर रात बर्तन धोता हूं… यह मेरी आदत है.” गेट्स भी यही बात मानते हैं कि “मैं बर्तन हर रात खुद धोता हूं. दूसरों को करने देता तो हूं, लेकिन मुझे मेरा तरीका पसंद है.” बराक ओबामा भी इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि राष्ट्रपति रहते हुए उन्हें बर्तन धोने जैसा सामान्य, सुकून देने वाला काम मिस हुआ. अब सवाल यह है, जिनके पास सब कुछ है, वे बर्तन धोने पर क्यों लौटते रहते हैं? जवाब है दिमाग की गहरी रफ्तार और उसकी चुप्पी में छिपी क्रिएटिविटी.

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साधारण काम क्यों जगाते हैं आइडिया?

अगर आप अपने ही अनुभवों को याद करें, तो बड़े आइडिया बहुत कम तब आते हैं जब आप उन्हें “सोचने की कोशिश” कर रहे होते हैं. वे आते हैं तब जब दिमाग बह रहा होता है, शावर में, बर्तन धोते हुए, टहलते हुए. कैलिफोर्निया, सांता बारबरा विश्वविद्यालय की रिसर्च कहती है कि कम मेहनत वाले, रिपेटिटिव काम दिमाग को स्वाभाविक रूप से भटकने देते हैं और यही भटकाव अक्सर ब्रेकथ्रू आइडिया लेकर आता है. ऐसे समय में दिमाग का DMN मोड सक्रिय हो जाता है. यही नेटवर्क वह जगह है जहां यादें जुड़ती हैं, भविष्य की तस्वीरें बनती हैं, नए संबंध बनते हैं और दिमाग बड़ी समस्याओं का हल खोजने लगता है. वैज्ञानिकों ने भी पाया है कि बर्तन धोना, झाड़ू लगाना, कपड़े प्रेस करना ये सभी काम DMN को तेज़ करते हैं. हाथ अपने काम में लगे रहते हैं, दिमाग दूर तक उड़ान भरने लगता है.

तो अगली बार जब सिंक में बर्तन दिखें…

  • उन्हें बोझ की तरह मत देखिए.
  • गर्म पानी चलने दीजिए.
  • बर्तनों को साबुन में डुबाइए.
  • धीरे-धीरे स्क्रब कीजिए.
  • अपने दिमाग को घूमने दीजिए.
  • किसी समस्या का हल मिल सकता है.
  • किसी कहानी की शुरुआत दिख सकती है.
  • कोई ऐसा विचार आ सकता है जिसकी आपको तलाश थी.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.