अब तक आपने आगरा के ताज महल के बारे में बहुत कुछ सुना और देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में ताज महल केवल आगरा में ही नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक ताज महल है. इन दोनों के बीच एकमात्र अंतर यह है कि आगरा का ताज मुमताज के मकबरे के लिए बनाया गया था, जबकि भोपाल का ताज महल नवाब ने अपने आवास के लिए बनवाया था.


हाथी के भार से भी ज्यादा वजन


आगरा का ताज महल शहजहाँ ने बनवाया था और यह भोपाल के नवाब शाहजहाँ बेगम ने बनवाया था. अगर आपने आगरा का ताज महल देख लिया है और कुछ अलग और रोचक देखना चाहते हैं, तो भोपाल के ताज महल के बारे में जानें. नवाब शाहजहाँ बेगम के समय में नागपुर और उत्तर से हमले का खतरा बहुत अधिक था. इस कारण से ही बेगम ने इस महल के गेट को इतना भारी बनाया था कि यह एक हाथी के भार के साथ भी टकरा नहीं सकता था. इस गेट के ऊपर लोहे के कील लगे हुए हैं, जिसके कारण यह गेट हाथी के भार से भी ज्यादा हो जाता है.


13 साल में बना था ये महल


ताज महल में तीन गेट होते थे, पूर्वी दिशा के गेट को सुबह में बाहरी लोगों के प्रवेश के लिए प्रयोग किया जाता था. ताज की सुंदरता को बाहरी लोगों को नहीं देखने देने के लिए, बेगम ने पूर्वी दिशा के गेट पर एक आईना लगवाया था. सूरज की किरणें उस पर पड़ती हैं और चमक के कारण लोग महल को नहीं देख पा रहे होते थे. इस तरह उन्होंने इसे दृश्य से बाहर रखा था. इसमें 120 कमरें हैं. 1870 में भोपाल की नवाब शाहजहाँ बेगम ने अपने घर के लिए इस ताज महल पैलेस का निर्माण किया था. इसे बनाने में 13 साल लगे यहां तक कि हम आपको बता दें कि ताज महल 17 एकड़ पर बना था. इसे बनाने का खर्च 30 लाख रुपये आया था


क्यों बना नाम ताजमहल


जब इस महल का निर्माण हुआ था, तो इसमें कई कमरे बनाए गए थे. इस पैलेस में आठ बड़े हॉल बनाए गए थे. जहां बैठकें होती थीं. साथ ही इन पैलेस में ही भोजन भी दिया जाता था. यह ताज महल बहुत शानदार तरीके से बनाया गया था. इसकी सुंदरता देखने लायक है, इसीलिए इसे ताज महल का नाम दिया गया.


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