रिद्धी-सिद्धी के दाता भगवान श्रीगणेश की उपासना का पर्व विनायक चतुर्थी है. यह प्रतिमाह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी पुकारा जाता है.
इस बार विनायक चतुर्थी को रवियोग प्रातः 8 बजकर 38 से प्रारंभ होकर रात्रि 4 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. इस योग के प्रभाव से चहुंओर कार्यगति में तेजी आएगी. लाभ और व्यापार को बल मिलेगा. भगवान सिद्धी विनायक स्वयं कार्य व्यापार और धनधान्य के दाता हैं.


विनायक चतुर्थी का वैशाख शुक्ल चतुर्थी, शनिवार, 15 मई 2021 को प्रातः 7 बजकर 59 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन सुबह 10 बजे तक रहेगी. विनायक चतुर्थी सुख सौभाग्य की कारक मानी जाती है. श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक कष्ट हरते हैं. सुख संसाधन बढ़ते हैं. सगे संबंधियों से सामंजस्य बनता है. मतभेद दूर होते हैं. 


विशेष लाभ के लिए विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश पान के पत्तों की माला और मोदक चढ़ाएं. भगवान गणेश की पूजा और गणेश कथाओं का श्रवण दोपहर में करना चाहिए.
प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि गणेश वंदना करना चाहिए. उन्हें दूर्वा चढ़ानी चाहिए. गणेश मंत्रों का जाप करना चाहिए. शिव परिवार के दर्शन करना चाहिए. भगवान गणेश धनधान्य के साथ विद्या, बुद्धि और चातुर्य के भी दाता हैं. देवताओं में अग्रपूज्य हैं. इनकी कृपा से त्रिदेव प्रसन्न होते हैं. परिवार में खुशहाली आती है. हर्ष आनंद व्याप्त होता है.