Vidur Niti: विदुर महाभारत के एक ऐसे पात्र हैं जो सदैव सच का साथ देते थे. उनकी इसी खूबी के चलते वे हस्तिनापुर के राजा पांडु और राजा धृतराष्ट्र के सबसे प्रिय थे. राजा पांडु ने जहां उन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया तो राजा धृतराष्ट्र ने अपना सलाहकार बनाया. धृतराष्ट्र हर विषय में विदुर से राय लिया करते थे. विदुर को धर्मराज का अवतार भी माना जाता है. वे हमेशा न्याय की ही बात किया करते थे. धृतराष्ट्र और विुदर में जो संवाद हुआ वहीं विदुर नीति कहलाई. आइए जानते हैं कि क्या कहती है आज की विदुर नीति-

पत्नी से नहीं छिपानी चाहिए कोई बात

विदुर नीति के अनुसार पत्नी से कोई बात नहीं छिपानी चाहिए. पत्नी के साथ कभी भी संवाद हीनता की स्थिति नहीं होनी चाहिए. इससे घर का नुकसान होता है और दांपत्य जीवन में मधुरता और उत्साह में कमी आती है. पत्नी के साथ निरंतर संवाद करते रहना चाहिए और सभी बातों को साझा करना चाहिए. जो व्यक्ति अपनी पत्नी से बातों को छिपाता है समय आने पर ऐसे व्यक्ति संकटों से घिर जाते हैं. पत्नी को हर जरूरी बात को बताना ही श्रेष्ठ है. पत्नी आपकी सबसे अच्छी और सच्ची मित्र भी हैं. इस भूमिका को निखारें. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की कई कठिनाईयां आने से पहले ही समाप्त हो जाती हैं. जो व्यक्ति अपनी पत्नी से खुलकर बात करते हैं उनका आत्मविश्वास हमेशा बना रहता है.

स्वप्न विशाल हों तो उन्हें पूरा करने के प्रयास भी विशाल होने चाहिए

विदुर ने एक बार राजा धृतराष्ट्र के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि महाराज स्वप्न यानी सपने देखने में कोई हर्ज नहीं है, ये अधिकार तो हर मानव का है. स्वप्न सदैव विशाल देखने चाहिए. लेकिन सिर्फ स्वप्न देखकर उनमें खो जाने भर से स्वप्न पूर्ण नहीं होते हैं. इन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास भी करने चाहिए. सपना जितना बड़ा होगा उसके लिए प्रयास भी उतने बड़े करने होंगे. सपनों को पूरे करने के लिए व्यक्ति को सत्य के मार्ग को नहीं छोड़ना चाहिए. गलत और अधर्म से प्राप्त सफलता स्थाई नहीं होती है. लेकिन जो सफलता धर्म और सत्य के रास्ते पर चलकर प्राप्त की जाती है वह सालों साल नहीं बल्कि पीढ़ियों तक कायम रहती है.