Ravi Pradosh vrat 2024: 5 मई 2024 को वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष का रवि प्रदोष व्रत किया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में मां पार्वती, देवी लक्ष्मी सहित कई देवियों ने प्रदोष व्रत किया था. इसके प्रताप से धन, सुख, सुविधाएं, संपत्ति, संपन्नता, सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है.


रवि प्रदोष व्रत में सूर्य और शिव का प्रभाव रहता है. इस दिन किए गए सभी कार्य, पूजा सफलता दिलाते हैं. जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं वह इस दिन पूजा में कथा का जरुर श्रवण करें, इसके बिना पूजन अधूरा माना गया है. जानें रवि प्रदोष व्रत की कथा और मुहूर्त.


रवि प्रदोष व्रत कथा (Ravi Pradosh Vrat Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार भागीरथी के तट पर ऋषियों ने विशाल गोष्ठी का आयोजन किया. इस सभा में व्यासजी के शिष्य पुराणवेत्ता सूतजी महाराज भी पधारे. उनके स्वागत के बाद मुनियों को कथा सुनाई, इसके अनुसार  एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था.उसकी पत्नी प्रदोष व्रत किया करती थी. उसका एक पुत्र था. एक समय की बात है. वह पुत्र गंगा स्नान करने के लिए गया. लेकिन रास्ते में ही चोरों ने उसे घेर लिया. चोरों ने उससे उसके पिता के गुप्त धन की जानकारी बताने को कही.


चोरों ने बालक को घेरा


बालक चोरों से कहा कि हम लोग बहुत गरीब हैं. हमारे पास धन कहां है से आया. चोरों को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ तो उन्होंने पुत्र की पोटली छीन ली और पूछा इसमें क्या है. बालक ने कहा कि मेरी मां ने मेरे लिए रोटियां दी हैं. चोरों ने उस बालक को छोड़ दिया, बालक घुमते घुमते एक नगर में पहुंच गया है. थोड़ी दूर जाकर वह बरगद की छांव में आराम करने लगा. उसी समय उस नगर के सिपाही चोरों को खोजते हुए उस बरगद के पेड़ के पास पहुंचे और बालक को चोर समझकर बंदी बना राजा के पास ले गए.


सैनिकों ने बालक को बनाया बंदी


राजा ने उसे कारावास में बंद करने का आदेश दिया. काफी समय बीत जाने के बाद जब बालक घर नहीं लौटा, तो उसकी मां को चिंता सताने लगी. अगले दिन प्रदोष व्रत था. बालक की मां ने विधि पूर्वक प्रदोष व्रत किया और भगवान शिव से अपने पुत्र की रक्षा की. भगवान शिव ने मां की प्रार्थना स्वीकार कर ली. उसी रात भगवान शिव ने उस राजा को स्वप्न में आदेश दिया कि वह बालक चोर नहीं है. उसे प्रात:काल छोड़ दें अन्यथा उसका सारा राज्य नष्ट हो जाएगा.


ब्राह्मण को राजा ने दिया तोहफा


सुबह होते ही राजा ने शिवजी की आज्ञानुसार उस बालक को कारावास से मुक्त कर दिया. बालक ने अपनी सारी कहानी राजा को सुनाई. फिर अगले दिन उस बाला के माता पिता को राजमहल में बुलाया गया. राजा ने ब्राह्मण को 5 गांव दान में दिए. इसके बाद भगवान शिव की कृपा से ब्राह्मण परिवार आनंद से रहने लगा. इस तरह भगवान शिव के आशीर्वाद से उसके सारे दुख दूर हुए और राजयोग प्राप्त हुआ.


रवि प्रदोष व्रत 2024 मुहूर्त (Ravi Pradosh vrat 2024 Time)


वैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि शुरू - 05 मई 2024, शाम 05 बजकर 41


वैशाख कृष्ण त्रयोदशी तिथि समाप्त - 6 मई 2024, दोपहर 02 बजकर 40


पूजा का समय - शाम 06.59 - रात 09.06


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