व्यवसाय की सफलता में व्यक्तिगत कौशल और मानव संसाधन का समुचित प्रबंधन आवश्यक है. हमेशा अपने कौशल को निखारते रहना चाहिए और कुशल व्यक्तियों को प्रबंधन पर जोर देना चाहिए. यही कारण है कि भारत सहित दुनिया केे अधिकांश देशों में पीढ़ियों से चलीं आ रहीं व्यापारिक गतिविधियों को महत्व दिया जा रहा है. इसके विपरीत अगर कोई व्यक्ति दूसरे तरह से व्यापार में जाना चाहता है तो उसे सफलता अवश्य मिल सकती है लेकिन प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रह सकता है. सफलता को संदिग्ध न भी माना जाए तो संघर्ष को निश्चित ही बढ़ा हुआ माना जाना चाहिए.


ध्यातव्य है कि हर आधी सदी में विज्ञान कुछ ऐसे आविष्कार ले आता है कि व्यवसाय के तरीके बदल जाते हैं. व्यवसाय करने के प्रचलित माध्यम पुराने हो जाते हैं फिर भी व्यवसाय के नये तरीके बाजार में अपना वर्चस्व स्थापित कर लेते हैं लेकिन अधिकतर व्यवसाय हमेशा पुराने ढंग में ही सफल होता है.

वर्तमान में इंटरनेट हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है. सभी बड़े और छोटे व्यवसाय उसे ही अपना आधार बना रहे हैं. व्यवसाय के डिजिटल होने का प्राथमिक कारण खरीदारों के खपत व्यवहार में बदलाव है. अधिकांश लोग आज सामग्री का डिजिटल रूप से उपभोग कर रहे हैं, जो न केवल उनके खरीदने के निर्णयों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि मांग के आने पर उसे पते के रूप के तौर पर भी बढ़ावा दे रहा है. ध्यान दें तो तकनीक मात्र सुविधा विस्तार है. व्यवसाय की समझ व्यक्तिगत और पारंपरिक विकास पर ही निर्भर करती है.


व्यवसायिक प्रतिष्ठान अपने राजस्व बढ़ाने के लिए मजबूत डिजिटल प्रचार सामग्री बना रहे हैं और डिजिटल मंचों और तकनीकि को अपना रहे है. प्रतिष्ठान अपने व्यवसाय का ऑनलाइन विस्तार करने लगे हैं. इसे व्यवसाय बढाने की महती आवश्यकता माना जा रहा है. आज इंटरनेट प्रचार को सफलता की एकमात्र कुंजी माने जाना लगा है.

व्यापार में कहा जाता है कि माल चोखा हो तो बेचना आसान होता है. माल चोखा बनाने के लिए सर्वाधिक महत्ता कौशल की होती है. बाकी मानव संसाधन का नियोजन है. तकनीक है. साधनता है.