सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और बृहस्पति देव को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. बृहस्पति देव को देवताओं का गुरू माना गया है. इस दिन केले के पेड़ की पूजा की जाती है. मान्यता है कि केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. पूजन के समय श्री हरि को हल्दी, गुड़, चने की दाल का भोग लगाया जाता है. 


धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि इस दिन व्रत कथा श्रवण करने और कहने से कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है. पूजन के बाद आरती का भी विशेष महत्व है. नमान्यता है कि बृहस्पति देव की आरती करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए पढ़ें बृहस्पति देव की आरती.  


बृहस्पति देव की आरती 


ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।


भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥


जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।


सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।


तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी।


पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।


मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।


किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।


अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।


श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥


ओम जय जगदीश हरे...॥


तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।


ओम जय जगदीश हरे...॥


जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।


कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥


ओम जय जगदीश हरे...॥ 


Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.


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